मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद राहुल गांधी को लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया
कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी को उनकी 'मोदी सरनेम' टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी ठहराए जाने की तारीख से शुक्रवार को लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। इस संबंध में आज लोकसभा सचिवालय की ओर से अधिसूचना जारी की गई। गांधी केरल के वायनाड जिले से सांसद हैं।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 110 (1) (ई) के संदर्भ में सहपठित जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 के तहत अयोग्यता का प्रावधान किया गया है। 1951 के अधिनियम में यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति दोषी ठहराया जाता है और दो साल या उससे अधिक के लिए कारावास की सजा सुनाई जाती है तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और उसकी रिहाई के बाद छह साल की एक और अवधि के लिए वह अयोग्य बना रहेगा।
गौरतलब है कि अयोग्यता का फैसला पलटा जा सकता है, यदि हाईकोर्ट अपील में संबंधित व्यक्ति की सजा पर रोक लगाता है या संबंधित व्यक्ति के पक्ष में दोषसिद्धि के खिलाफ दायर अपील का फैसला करता है।
यह याद किया जा सकता है कि गुजरात के सूरत जिले की एक अदालत ने कल कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी को अप्रैल 2019 में करोल में एक राजनीतिक अभियान के दौरान की गई उनकी टिप्पणी "सभी चोर मोदी उपनाम शेयर क्यों करते हैं" के लिए मानहानि के मामले में दोषी ठहराया था ।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एच एच वर्मा की अदालत ने रा हुल गांधी को आईपीसी की धारा 499 (मानहानि), 500 (मानहानि की सजा) के तहत दोषी पाए जाने के बाद दो साल कैद की सजा सुनाई और 15,000 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया।
हालांकि अदालत ने उनकी सजा को निलंबित कर दिया और 30 दिनों के भीतर अपील दायर करने के मामले में उन्हें जमानत दे दी, लेकिन उनकी दोषसिद्धि को निलंबित नहीं किया गया, जो कि अयोग्यता पर रोक के लिए आवश्यक है।
यह आदेश भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी की एक शिकायत पर आया है। पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत उनकी कथित टिप्पणी के लिए दायर किया था जिसमें दावा किया गया था कि राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए 'मोदी' उपनाम के साथ सभी लोगों को बदनाम किया।