पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण गतिविधियों में कथित रूप से शामिल महिला को जमानत दी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में प्रसव पूर्व निदान तकनीक (विनियमन और दुरुपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1994 के तहत किए गए अपराध के लिए आरोपी बनाई गई एक महिला को नियमित जमानत दे दी है। महिला पर आरोप है कि वह कथित तौर पर नकली ग्राहक के साथ उस स्थान पर गई थी कि जहां लिंग निर्धारण टेस्ट किया जाना था।
मामले के तथ्यों और परिस्थितियों, याचिकाकर्ता द्वारा निभाई गई भूमिका के साथ-साथ इस तथ्य को भी ध्यान में रखा गया कि सह-अभियुक्त पहले ही नियमित जमानत पर रिहा हो चुकी है। इसलिए अदालत ने याचिकाकर्ता को नियमित जमानत पर रिहा करने की मांग वाली तत्काल याचिका को अनुमति देना उचित समझा।
यह आरोप लगाया गया था कि बबीता और सह-आरोपी सुखविंदर कौर कार में नकली ग्राहक के साथ गए, जहां वे याचिकाकर्ता से मिले, जिस पर सुखविंदर कौर से पैसे लेने का आरोप है। आरोप है कि याचिकाकर्ता नकली ग्राहक को उस घर में ले गई, जहां इस नकली ग्राहक का लिंग निर्धारण टेस्ट किया जाना था।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि 32,000 रुपये की राशि, जो लिंग निर्धारण के लिए लागत के रूप में तय की गई थी,उसे पीएनडीटी टीम द्वारा विधिवत चिह्नित किया जा चुका है और सह-आरोपी सुखविंदर कौर से रिकवर भी कर लिया था। याचिकाकर्ता की भूमिका को सह-आरोपी बबीता के बराबर बताया गया है, जो पहले से ही जमानत पर है।
आगे यह तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता उस स्थान की तकनीकी और पेशेवर कर्मचारी नहीं थी जहां कथित तौर पर लिंग निर्धारण टेस्ट हुआ था। नतीजतन, पीएनडीटी अधिनियम की धारा 23 के प्रावधान याचिकाकर्ता पर लागू नहीं होते हैं।
ऊपर दिए गए तथ्यों और परिस्थितियों, मामले में याचिकाकर्ता द्वारा निभाई गई भूमिका के साथ-साथ यह तथ्य भी ध्यान में रखा गया कि इस मामले में अन्य सह-आरोपी बबीता को पहले ही अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट जो मुख्य रूप से पॉक्सो एक्ट के अपराधों के साथ बलात्कार के मामलों की सुनवाई करेगी), कुरुक्षेत्र द्वारा अपने आदेश दिनांक 02.06.2022 के तहत नियमित जमानत की रियायत दी जा चुकी है। इसलिए अदालत ने माना कि वह तत्काल याचिका की अनुमति देना उचित समझती है।
जस्टिस विनोद एस भारद्वाज की पीठ ने कहा कि इस मामले में सह-आरोपी बबीता को फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट द्वारा पहले ही नियमित जमानत दी जा चुकी है।
तदनुसार, अदालत ने याचिका की अनुमति देते हुए याचिकाकर्ता को नियमित जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आगे यह स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ता अभियोजन पक्ष के गवाहों को किसी भी तरह से धमकाएगी नहीं या प्रभावित नहीं करेगी।
केस टाइटल- दीपा उर्फ दीपिका बनाम हरियाणा राज्य
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