किसान आंदोलन पर ट्विट मामले में कंगना रनौत को राहत नहीं, हाईकोर्ट ने मानहानि मामला रद्द करने से किया इनकार
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक्ट्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद कंगना रनौत द्वारा 2021 के किसान आंदोलन पर की गई टिप्पणियों को लेकर दायर मानहानि के मामले में दायर समन आदेश रद्द करने से इनकार किया।
रणौत ने ट्विटर पर पोस्ट किया कि एक बुजुर्ग महिला प्रदर्शनकारी महिंदर कौर को आंदोलन में भाग लेने के लिए पैसे दिए गए थे।
जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने कहा,
"कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के आलोक में प्रारंभिक साक्ष्यों की जांच करके मामले के तथ्यों पर उचित विचार करने के बाद यह आदेश पारित किया गया। याचिकाकर्ता का यह तर्क मान्य नहीं है कि रीट्वीट उसने नहीं किया।"
न्यायालय ने आगे कहा कि ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (TCIPL) द्वारा यह रिपोर्ट प्राप्त न होना कि क्या कथित रीट्वीट याचिकाकर्ता द्वारा किया गया, CrPC की धारा 202 के तहत मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र को छीनने का आधार नहीं हो सकता।
इसमें आगे कहा गया,
"रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जा सकी, क्योंकि कंपनी www.twitter.com की न तो मालिक है और न ही उसके नियंत्रण में है। वह केवल अनुसंधान, विकास और विपणन में लगी एक अलग यूनिट है।"
जस्टिस दहिया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्तमान मामले में जांच के बाद मजिस्ट्रेट प्रथम दृष्टया संतुष्ट थे कि रीट्वीट याचिकाकर्ता द्वारा किया गया और शिकायत में आरोपित तथ्य भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 के तहत अपराध की श्रेणी में आते हैं। इसलिए TCIPL की रिपोर्ट के बिना उनके खिलाफ जारी आदेश पर कोई आपत्ति नहीं ली जा सकती।
न्यायालय ने कंगना के इस तर्क को खारिज कर दिया कि रीट्वीट सद्भावनापूर्वक किया गया और आपराधिक मनःस्थिति के अभाव में वह IPC की धारा 499 के नौवें और दसवें अपवाद के लाभ की हकदार थीं; और मजिस्ट्रेट द्वारा इस मुद्दे की जाँच न करने के कारण यह आदेश टिकने योग्य नहीं था।
न्यायालय ने कहा,
"ऊपर उद्धृत नौवें अपवाद के अवलोकन से पता चलता है कि इसका उद्देश्य मानहानि के अपराध से उस आरोप को बाहर करना है, जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने या किसी अन्य के हितों की रक्षा के लिए, या सार्वजनिक हित के लिए सद्भावनापूर्वक लगाया गया हो।"
इसने बताया कि दसवाँ अपवाद मानहानि से उस चेतावनी को बाहर करता है, जो सद्भावनापूर्वक दी गई हो और जिसका उद्देश्य उस व्यक्ति की भलाई हो, जिसे यह दी गई हो या किसी अन्य व्यक्ति की भलाई हो, जिसमें वह व्यक्ति रुचि रखता हो, या सार्वजनिक हित के लिए हो।
इस तर्क को खारिज करते हुए कि मजिस्ट्रेट को अनिवार्य रूप से इस बात पर विचार करना आवश्यक है कि क्या ये अपवाद उसके मामले में लागू होते हैं, न्यायालय ने कहा,
"स्थापित कानून के अनुसार, मजिस्ट्रेट पर कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं है, जो उसे यह विचार करने से रोकता हो कि क्या कोई अपवाद समन किए जाने वाले व्यक्ति की रक्षा करता है। हालांकि, इस तरह का गैर-विचार अपने आप में आदेश जारी करने की प्रक्रिया को अवैध नहीं बना देगा।"
न्यायालय ने यह भी कहा कि चूंकि शिकायतकर्ता ने केवल याचिकाकर्ता के विरुद्ध शिकायत दर्ज की, न कि उस व्यक्ति के विरुद्ध जिसका मूल ट्वीट किया गया। इसलिए यह अपने आप में यह कहने का आधार नहीं हो सकता कि शिकायत दुर्भावनापूर्ण है।
आगे कहा गया,
“रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, न ही याचिकाकर्ता के वकील द्वारा कोई ऐसा तथ्य प्रस्तुत किया जा सका, जिससे प्रथम दृष्टया प्रतिवादी की ओर से संबंधित शिकायत दर्ज कराने के ऐसे इरादे का संकेत मिलता हो। याचिकाकर्ता एक सेलिब्रिटी हैं। उनके विरुद्ध विशिष्ट आरोप हैं कि रीट्वीट में उनके द्वारा लगाए गए झूठे और मानहानिकारक आरोपों ने प्रतिवादी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है और उनकी अपनी ही नज़र में, और दूसरों की नज़र में भी, उनकी छवि को गिराया है। इसलिए अपने अधिकारों की रक्षा के लिए शिकायत दर्ज कराना दुर्भावनापूर्ण नहीं कहा जा सकता।”
उपरोक्त के आलोक में याचिका खारिज कर दी गई।
Title: Kangana Ranaut v. Mahinder Kaur