पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने "अपूरणीय क्षति" रोकने के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करने की दिहाड़ी मजदूर की याचिका को अनुमति दी

Update: 2022-08-04 10:10 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि यदि याचिकाकर्ता, जो अपने अधिकारों के लिए दिहाड़ी मजदूर हैं, को अपने साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी जाती है, तो उन्हें अपूरणीय क्षति होगी।

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता, जो दिहाड़ी मजदूर हैं और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, यदि उन्हें अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी जाती है तो उन्हें अपूरणीय क्षति का सामना करना पड़ेगा।

जस्टिस अलका सरीन की पीठ ने संबंधित श्रम न्यायालय को निर्देश दिया कि वह उन याचिकाकर्ताओं को, जो 19 वर्षों से प्रतिवादी के साथ दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे हैं, अपने साक्ष्य का नेतृत्व करने का अवसर प्रदान करें।

कोर्ट ने कहा कि उपरोक्त को दृष्टिगत रखते हुए तथा पक्षकारों के मध्य पूर्ण न्याय करने के लिए आक्षेपित आदेश अपास्त किया जाता है। याचिकाकर्ताओं को अपने साक्ष्य का नेतृत्व करने का एक अवसर दिया जाएगा।

अदालत उन आदेशों को रद्द करने के लिए पुनरीक्षण याचिकाओं पर विचार कर रही थी जिनमें याचिकाकर्ताओं के साक्ष्य बंद कर दिए गए और एक अन्य आदेश जिसके तहत आधिकारिक गवाहों को बुलाने के लिए याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर आवेदन को खारिज कर दिया गया है और आगे श्रम न्यायालय द्वारा पारित आदेश को रद्द करने के लिए, जिसके माध्यम से उपरोक्त आदेशों को वापस लेने के लिए आवेदन खारिज कर दिया गया है।

वर्तमान मामले के प्रासंगिक तथ्य यह हैं कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता माली/बेलदार हैं जिन्हें प्रतिवादी-प्रबंधन द्वारा 2000 में नियुक्त किया गया था। हालांकि, उनकी सेवाएं 01.08.2018 को समाप्त कर दी गई थीं। उसके बाद याचिकाकर्ताओं ने रिकॉर्ड के साथ आधिकारिक गवाहों को तलब करने के लिए 2022 में अर्जी दाखिल की।

उक्त आवेदन पर विचार किए बिना याचिकाकर्ताओं के साक्ष्य बंद कर दिए गए और सरकारी गवाहों को बुलाने के आवेदन को भी एक अलग आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया। इसके बाद आदेशों को वापस लेने के लिए एक आवेदन दिया गया लेकिन उक्त आवेदन को भी खारिज कर दिया गया।

यह मानते हुए कि याचिकाकर्ताओं को अपने साक्ष्य का नेतृत्व करने का एक अवसर दिया जाएगा, अदालत ने आगे संबंधित अदालत को कानून के अनुसार रिकॉर्ड के साथ आधिकारिक गवाहों को बुलाने के उनके आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया।

तदनुसार, अदालत ने वर्तमान याचिका का निपटारा किया।

केस टाइटल : सतपाल बनाम संभागीय वन अधिकारी, सोनीपत संभाग, सोनीपत

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