पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अलग-अलग पुरुषों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप में नौ एफआईआर दर्ज करवाने वाली महिला को जमानत देने से इनकार किया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने गुड़गांव की उस महिला को जमानत देने से इनकार कर दिया है, जिसने लगभग 14 महीने के भीतर 9 एफआईआर दर्ज करवाई थी। इन सभी एफआईआर में महिला ने कथित तौर पर पैसे ऐंठने के लिए अलग-अलग लड़कों पर उसके साथ यौन अपराध करने का आरोप लगाया था।
जस्टिस अशोक कुमार वर्मा की एकल पीठ को सूचित किया गया कि 3 मामलों में महिला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 182 के तहत कार्यवाही शुरू की गई है। उस पर आरोप है कि उसने इस इरादे से झूठी सूचना दी थी ताकि लोक सेवक द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को क्षति पहुंचाने के लिए अपनी कानूनी शक्ति का उपयोग किया जा सके।
अदालत ने अपने आदेश में कहा,''राज्य द्वारा दायर जवाब के अनुसार, याचिकाकर्ता ने विभिन्न व्यक्तियों के खिलाफ 09 एफआईआर दर्ज करवाई हैं और इन 09 मामलों में से 03 मामलों में आईपीसी की धारा 182 के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है क्योंकि इन एफआईआर के आरोप झूठे पाए गए हैं। याचिकाकर्ता उन लोगों से पैसे वसूलने का रैकेट चला रही है, जिनके खिलाफ उसके द्वारा आरोप लगाए गए हैं।''
कोर्ट ने माना,''मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, कथित अपराधों की गंभीरता और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता को अलग-अलग व्यक्तियों के खिलाफ मामले दर्ज करवाने की आदत है, याचिकाकर्ता नियमित जमानत की रियायत के लायक नहीं है।''
महिला पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 195-ए, 34, 384, 389 और 509 के तहत मामला दर्ज किया गया है। महिला के खिलाफ उसके द्वारा आरोपित एक लड़के की मां ने शिकायत दायर की है। महिला जनवरी 2022 से हिरासत में है।
आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ता, शिकायतकर्ता के बेटे की दोस्त थी और वह सार्वजनिक रूप से उसके साथ अश्लील गतिविधियों में लिप्त होने लगी, जिस पर लड़के ने आपत्ति की, जिसके बाद उसने यह कहकर उसे परेशान करना और धमकी देना शुरू कर दिया कि वह उसे रेप के झूठे मामले में फंसा देगी। उसने यह भी कहा कि वह पहले भी कई लड़कों को जेल भेज चुकी है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसे झूठा फंसाया गया है और शिकायतकर्ता के बेटे ने उससे शादी करने का झूठा वादा कर उसके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए। उसने तर्क दिया कि यह एफआईआर शिकायतकर्ता के बेटे के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर के चलते दर्ज करवाई गई है।
राज्य ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता का लड़कों और उनके परिवार के सदस्यों को ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से बलात्कार, शीलभंग आदि के अपराधों में झूठे तरीके से फंसाने का एक ''पैटर्न'' रहा है।
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जमानत अर्जी खारिज कर दी।
केस टाइटल- एबी बनाम हरियाणा राज्य
साइटेशन- सीआरएम-एम-33585-2022 (ओ एंड एम)
कोरम- जस्टिस अशोक कुमार वर्मा