पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कोर्ट जज के खिलाफ किए ट्वीट की जांच के करने का आदेश दिया
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस सप्ताह की शुरुआत में अदालत के खिलाफ कथित तौर पर किए गए ट्वीट्स की एक सीरीज की जांच का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह की खंडपीठ ने अपने रजिस्ट्रार-विजिलेंस के लिए किए गए ट्वीट्स की जांच के लिए तीन सप्ताह की समय सीमा निर्धारित की है।
संक्षेप में मामला
याचिकाकर्ता के पिता को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में आईपीसी की धारा 306 के तहत दर्ज एक मामले में याचिकाकर्ता विशाल कपूर को हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी थी।
इस तथ्य से दुखी होकर कि याचिकाकर्ता को जमानत दे दी गई, शिकायतकर्ता ने अदालत के खिलाफ कुछ ट्वीट और फेसबुक पोस्ट किए। एक ट्वीट में जिन्होंने उन न्यायाधीश की तस्वीर भी पोस्ट की जिसने आरोपी व्यक्ति को जमानत दी थी।
इसके अलावा याचिकाकर्ता ने कुछ कुछ भी अपमानजनक टिप्पणी भी पोस्ट की थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत के समक्ष शिकायतकर्ता द्वारा किए गए ट्वीट के स्क्रीनशॉट उपलब्ध कराए।
इस पर न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह की पीठ ने नोटिस लिया।
कोर्ट का आदेश
अदालत ने निर्देश दिया:
"कथित रूप से किए गए ट्वीट्स की प्रकृति के मद्देनजर, ट्वीट्स की वास्तविकता और प्रामाणिकता की जांच करना उचित होगा। यह जानने के लिए कि ये ट्वीट प्रतिवादी नंबर दो द्वारा किए गए हैं या नहीं। रजिस्ट्रार विजिलेंस को सक्षम प्राधिकारी द्वारा तीन सप्ताह के भीतर ट्वीट की जांच क करने के लिए निर्देशित किया जाता है।"
रजिस्ट्रार विजिलेंस को इस संबंध में पुलिस या किसी अन्य विशेषज्ञ की सहायता लेने की भी छूट दी गई है। इसके साथ ही प्राप्त होने वाली रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लाए जाने का भी निर्देश दिया गया है।
मामले के उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए मुख्य न्यायाधीश से आवश्यक आदेश प्राप्त कर मामले को 16 अगस्त 2021 को किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया।
केस का शीर्षक - विशाल कपूर और अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य
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