पुणे कोर्ट ने एलगर परिषद मामले के आरोपी महेश राउत को LLB एग्जाम देने के लिए अंतरिम जमानत दी

पुणे की स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को एल्गर परिषद मामले के आरोपी महेश राउत को अंतरिम जमानत दी। इस जमानत पर वह अपनी लॉ ग्रेजुएट (LLB) परीक्षा के दूसरे सेमेस्टर में शामिल हो सकेंगे।
NIA के स्पेशल जज चकोर भाविस्कर ने उन्हें परीक्षा की तैयारी करने और अपना असाइनमेंट जमा करने के लिए 20 अप्रैल से 16 मई तक अंतरिम जमानत दी। अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार राउत को 50,000 रुपये के 'व्यक्तिगत पहचान बांड' पर रिहा किया जाएगा। उन्हें इस अवधि के दौरान अपने निवास का प्रमाण प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया। उन्हें अपना फोन नंबर भी साझा करने का आदेश दिया गया, जिससे उनसे संपर्क किया जा सके और उनके ठिकाने का पता लगाया जा सके।
अदालत ने कहा,
"यदि आवश्यक हो तो अभियोजन/जांच एजेंसी - NIA अस्थायी जमानत की इस अवधि के दौरान आवेदक के दिए गए सेल फोन नंबर पर उसकी निगरानी कर सकती है और उनका पता लगा सकती है।"
वन अधिकार कार्यकर्ता राउत पर 2018 की भीमा कोरेगांव हिंसा में कथित माओवादी संबंधों के संबंध में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 (UAPA) की धारा 15 के तहत 'आतंकवादी कृत्य' में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। सितंबर, 2023 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें इस मामले में जमानत दी थी, क्योंकि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। हालांकि, जमानत के आदेश पर हाईकोर्ट ने ही रोक लगा दी और सुप्रीम कोर्ट ने रोक की अवधि बढ़ा दी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सितंबर, 2024 में मुंबई के सिद्धार्थ लॉ कॉलेज को राउत को स्टूडेंट के रूप में एडमिशन देने का आदेश दिया था, यह देखते हुए कि कारावास किसी व्यक्ति के आगे की शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार को प्रतिबंधित नहीं करता है।
पीठ ने कहा था,
"निर्धारित प्रक्रिया का पालन करके सीट आवंटित किए जाने के बावजूद कॉलेज में एडमिशन लेने का अवसर देने से इनकार करना याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।"
पीठ ने कॉलेज को शैक्षणिक वर्ष 2024-25 और 2024-2027 बैच के लिए राउत को प्रवेश देने का आदेश दिया था।