जनहित याचिका क्षेत्राधिकार को लागू करने के लिए उचित तथ्य और साक्ष्य न्यायालय के समक्ष रखे जाने चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि जनहित क्षेत्राधिकार में अदालत का दरवाजा खटखटाने वाला नागरिक आगे की जांच के लिए अदालत के समक्ष पूर्ण शोध करने और आवश्यक तथ्य पेश करने के लिए अधिक कर्तव्य है।
वर्तमान मामले में याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रतिवादी नंबर दो अर्थ क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के कुप्रबंधन के संबंध में गंभीर आरोप लगाए गए।
चीफ जस्टिस अकील कुरैशी और जस्टिस रेखा बोराना की खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा,
"एक जनहित क्षेत्राधिकार में न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाला नागरिक आगे की जांच के लिए न्यायालय के समक्ष पूर्ण शोध करने और आवश्यक तथ्यों को प्रस्तुत करने का एक बड़ा कर्तव्य रखता है।"
याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि वर्तमान जनहित याचिका में कोई सहायक दस्तावेज या सूचनात्मक साक्ष्य नहीं है, यहां तक कि प्रथम दृष्टया प्रतिवादी नंबर दो के कुप्रबंधन के संबंध में याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप भी हैं।
अदालत ने नोट किया,
"इस जनहित याचिका में कोई सहायक दस्तावेज या सूचनात्मक साक्ष्य नहीं हैं, यहां तक कि प्रथम दृष्टया प्रतिवादी नंबर दो अर्थ क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के कुप्रबंधन के संबंध में याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप भी हैं।"
अदालत ने हालांकि कहा कि अगर याचिकाकर्ता आगे की सामग्री को रिकॉर्ड में रखने में सक्षम हैं तो उनके लिए एक नई जनहित याचिका दायर करने का विकल्प खुला होगा।
केस शीर्षक: गजेंद्र पुरबिया और अन्य बनाम भारत संघ
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (राज) 88
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