जेल सुधार- "जिला मजिस्ट्रेट अपने जिले के जेलों का दौरा करके रिपोर्ट जमा करें": उड़ीसा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कई मुद्दों पर जवाब मांगा
उड़ीसा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से राज्य के जेलों की वर्तमान स्थिति के बारे में जवाब मांगा है और राज्य के प्रत्येक जिले के जिला मजिस्ट्रेट को अपने अधिकार क्षेत्र के जेलों का दौरा करने और निरीक्षण करके जेलों की वर्तमान स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार करके कोर्ट में सौंपने का आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति बी. पी. राउत की खंडपीठ ने इस मामले में एमिकस क्यूरी द्वारा प्रस्तुत हालिया रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद एक 15 साल पुरानी याचिका और 7 साल पुरानी जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी। दोनों याचिकाओं में उड़ीसा के जेलों के स्थिति के विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है।
कोर्ट को एमिकस क्यूरी ने पांच न्यूज सबूतों के माध्यम से पिछले पांच वर्षों में ओडिशा की जेल में हुई कैदियों की मौत और जेल में बढ़ती कैदियों की संख्या (भीड़भाड़) के बारे में अवगत कराया।
कोर्ट का राज्य सरकार को निर्देश
कोर्ट ने ओडिशा सरकार को निर्देश दिया कि सरकार 1382 जेलों की अमानवीय स्थितियां, (2016) 3 SCC 700 मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए विस्तृत निर्देशों की जांच करें।
यह ध्यान दिया जा सकता है कि उपरोक्त मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि देश भर की विभिन्न जेलों में कैदियों के अधिकारों और अंडर ट्रायल कैदियों को महत्व दिया जाना चाहिए।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया को दो कॉलम में लिखकर अगली तारीख को न्यायालय के समक्ष रखने का निर्देश दिया गया है।
पीठ ने टिप्पणी की कि,
"यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त निर्देशों को उड़ीसा में जेलों की स्थिति में सुधार के लिए लागू का जाएगा और इसे समयबद्ध तरीके से पूरा करने की आवश्यकता है।"
राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह अगली तारीख को कोर्ट को सूचित करे कि वह किन निर्देशों को लागू करेगा।
जेल में कैदियों को हथकड़ी
प्रेमशंकर शुक्ल बनाम दिल्ली प्रशासन AIR 1980 SC 1535 मामले में, शीर्ष अदालत ने जेल में कैदियों को हथकड़ी लगाने और जेल से अदालत में लाते समय कैदी को हथकड़ी लगाने पर रोक लगा दी और इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को यह निर्देश दिया कि राज्य सरकार निर्देश जारी करके यह सुनिश्चित करे कि राज्य में इस तरह की प्रथा पर पूर्णत: रोक लगा दी गई है।
जेल से कैदियों की रिहाई और क्षमायोग्य अपराधों में शामिल कैदियों की रिहाई
कोर्ट ने ओडिशा राज्य के विधिक सेवा प्राधिकरण (ओएसएलएसए) के सदस्य सचिव को ओडिशा के विभिन्न जेलों में उन कैदियों की संख्या के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का निर्देश दिया, जो जमानत दिए जाने के बावजूद जमानती बांड भरने में असमर्थ होने के चलते रिहा नहीं हो सके हैं।
इस आधार पर कोर्ट के समक्ष ओएसएलएसए के सदस्य सचिव को आगे आवेदन दाखिल करने के लिए पैनल वकील प्राप्त करके उनकी रिहाई की सुविधा देने का निर्देश दिया गया, जिन्होंने इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के संदर्भ में शर्तों को संशोधित करने के लिए जमानत दी है।
कोर्ट ने ओएसएलएसए की भूमिका पर कहा कि,
"न्यायालय यह दोहराना चाहेगा कि ओएसएलएसए और ओएचसीएलएससी की सक्रिय भागीदारी के बिना सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णयों में प्रस्तावित कई सुधारों को लागू नहीं किया जा सकता है।"
कोर्ट ने अंत में निम्नलिखित निर्देश जारी किए;
1. 15 मार्च, 2021 और 16 अप्रैल, 2021 के बीच, विभिन्न जिलों के डीएम संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) या तालुका विधिक सेवा समिति (टीएलएससी) के सचिव के साथ समन्वय बिठाकर अपने अधिकार क्षेत्र की जेलों का निरीक्षण करेंगे।
2. जेलों की स्थिति, कैदियों की स्थिति, भीड़भाड़ के मुद्दों, भोजन और आश्रय, जेलों के भीतर उपलब्ध सुविधाओं की स्थिति पर कोर्ट के समक्ष एक संयुक्त रिपोर्ट प्रस्तुत करना होगा, लेकिन यह निरीक्षण बिता बताए किया जाना चहिए यानी दौरे की पूर्व सूचना नहीं देनी है।
3. राज्य सरकार उड़ीसा राज्य के प्रत्येक जिला के जेल और उप जेलों में से प्रत्येक का कम से कम एक चिकित्सा निरीक्षण भी करेगी, जो उपर्युक्त अवधि के भीतर चिकित्सा पेशेवरों की एक टीम द्वारा किया जाएगा और अगली तारीख में इस तरह की दौरे की रिपोर्ट भी न्यायालय के समक्ष रखी जाएगी।
4. जनवरी, फरवरी और मार्च 2021 के महीनों में जिला न्यायाधीशों के द्वारा किए गए जेल के दौरे की रिपोर्ट का संकलन इस न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा अगली तारीख पर न्यायालय के समक्ष रखी जानी चाहिए।
इस मामले को 27 अप्रैल, 2021 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।