सिविल सेवक का पद विशेषाधिकार का पद नहीं, बल्कि जनता की सेवा के लिए है: हाईकोर्ट
"एक सिविल सेवक का पद विशेषाधिकार का पद नहीं, बल्कि जनता की सेवा के लिए है।"
ये बात पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कही। दरअसल कोर्ट पंजाब सरकार के एक आदेश को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा,
“कुछ भाग्यशाली लोगों को ही एक कर्मचारी के रूप में राज्य की सेवा करने का अवसर मिलता है। इनमें से कुछ को ही जनता की सेवा करने का विशेषाधिकार मिलता है। सरकारी अधिकारियों और सिविल सेवकों से लोगों की शिकायतों को दूर करने की अपेक्षा की जाती है। क्योंकि इनके पास निर्णय लेने की शक्ति है। इनसे उम्मीद की जाती है कि वे अपने कर्तव्य को बेहतर तरीके से निभाएंगे। लोगों की परेशानी को समझेंगे। शिकायतों का निवारण करेंगे।“
पूरा मामला
याचिकाकर्ता को 2021 में गणित मास्टर के पोस्ट पर नियुक्त किया गया था। इसके बाद उसने असिस्टेंट प्रोफेसर के पोस्ट के लिए अप्लाई किया। उस पोस्ट पर भी उसकी नियुक्ति हो गई। उसे अप्वाइंटमेंट लेटर भी आ गया। उसने गणित मास्टर की पोस्ट से रिजाइन भी कर दिया था। इसी बीच कोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेजर के पोस्ट के लिए नियुक्ति पर अंतरिम रोक लगा दी। याचिकाकर्ता ने इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया। अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए दर-दर भटकने लगा। लेकिन इस्तीफा वापस नहीं लिया गया। इसके खिलाफ याचिका दायर की। लोक शिक्षण (माध्यमिक शिक्षा) के निदेशक ने इस्तीफा वापस लेने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि जिस नियम के तहत इस्तीफा वापस लेने के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया वो नियम इस मामले में लागू नहीं होता है। उसने पंजाब सरकार के भर्ती नोटिस के तहत भर्ती के लिए आवेदन किया था।
याचिकाकर्ता का इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध लगभग डेढ़ साल से लंबित था। इसे देखते हुए निदेशक को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया है। साथ ही स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।
केस टाइटल: अंकित बनाम पंजाब राज्य और अन्य
उपस्थित:- एच.सी.अरोड़ा, एडवोकेट और सुनैना, याचिकाकर्ता नवदीप छाबड़ा, सीनियर डीएजी, पंजाब के वकील
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