लॉकडाउन - पुलिस को पालतू जानवर और बीमार पशुओं को पशु डॉक्टर के पास ले जाने वाले वाहनों को नहीं रोकना चाहिए : बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह पुलिस प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दे कि वह बीमार जानवरों को पशु चिकित्सकों के पास ले जाने और वहां से वापस लाने के काम में लगी पालतू जानवरों की टैक्सी या एंबुलेंस को न रोंके। वहीं हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह स्पष्ट करें कि क्या वर्तमान लाॅकडाउन में पालतू जानवरों के मालिकों को अपने कुत्ते/पालतू जानवर को टहलाने के लिए ले जाने की अनुमति है?
न्यायमूर्ति एससी गुप्ते ने इस मामले में पुणे की एक पशु कल्याण कार्यकर्ता विनीता टंडन की तरफ से दायर जनहित याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की।
टंडन ने आरोप लगाया है कि COVID-19 महामारी के कारण राज्य द्वारा लॉक-डाउन लगा दिया है। इसी के परिणामस्वरूप, पुलिस अधिकारी मनमाने तरीके से किसी भी नागरिक को उसके पालतू जानवर को टहलाने के लिए ले जाने से रोक रहे हैं,विशेष तौर पर कुत्तों को रोका जा रहा है।
याचिकाकर्ता के वकील हर्षवर्धन भेंडे ने दलील दी कि पुलिस स्टेशनों ने हाउसिंग सोसायटियों को मनमाने निर्देश जारी कर दिए हैं। जिनमें कहा गया है कि सोसायटी अपने यहां रहने वाले लोगों को उनके पालतू कुत्तों को सैर पर लेकर जाने की अनुमति न दें। यह भी प्रस्तुत किया गया है कि गैर सरकारी संगठनों और अन्य लोगों द्वारा चलाई जा रही उन एंबुलेंस या पालतू जानवरों की टैक्सियों के संचालन को भी पुलिस द्वारा मनमाने तरीके से रोका व बाधित किया जा रहा है,जो अपने शेल्टर होम से या पालतू पशुओं के मालिकों से इन जानवरों को लेकर पशु चिकित्सालयों में लेकर जाती हैं और उनको वापस लाने का काम कर रही है।
भले ही भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) ने राज्य के सभी डीजीपी को निर्देश जारी किया है कि जानवरों की क्रूरता की रोकथाम के उपाय के रूप में लोगों को उनके कुत्तों को टहलाने की अनुमति दें। परंतु फिर भी पुलिस प्रशासन इन एम्बुलेंस और पालतू जानवरों की टैक्सी के लिए पास जारी करने से इनकार कर रहा है।
वकील ने दलील दी कि एडब्ल्यूबीआई की तरफ से जारी इन निर्देशों को प्रेस में भी रिपोर्ट किया गया था।
राज्य की तरफ से पेश होते हुए एजीपी पीपी काकड़े ने दलील दी कि राज्य का निर्देश लोगों को उनके कुत्तों को सोसायटी या घरों के बाहर टहलाने से रोकता है,न कि सोसायटी के परिसर या आंगन के भीतर। जहां तकवेटनरी क्लीनिकों में बीमार पशुओं को लाने व वहां से ले जाने के काम में लगी एम्बुलेंस या पालतू टैक्सियों का सवाल है, तो राज्य ने अपने पुलिस प्रशासन को ऐसी एम्बुलेंस या पालतू टैक्सियों को रोकने या बाधित करने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया है।
इसके बाद न्यायालय ने कहा कि
''अगर कुत्तों को टहलाने के मामले में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने राज्य के सभी डीजपी को कोई निर्देश जारी किया है तो राज्य को उस पर उचित निर्णय लेना चाहिए। वहीं इस संबंध में अगली तारीख तक अदालत को भी सूचित किया जाए।
इस बीच, राज्य को निर्देश दिया गया है कि वह पुलिस प्रशासन को स्पष्ट निर्देश जारी करें कि वह बीमार जानवरों को पशुचिकित्सा क्लीनिकों से लाने और ले जाने के काम में लगी एम्बुलेंस या पालतू टैक्सियों को न रोकें।''
जहां तक कुत्तों को टहलाने और पशुपालकों के माध्यम से उनकी जरूरतों को पूरा करने का संबंध है, राज्य को निर्देश दिया गया है कि वह अगली सुनवाई तक एक हलफनामा दायर कर अपना रूख स्पष्ट करें।
इस मामले में अब अगली सुनवाई 15 मई, 2020 को होगी।
पिछले महीने, केरल हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति द्वारा दायर उस याचिका को स्वीकार कर लिया था,जिसमें उसने लाॅकडाउन के दौरान अपनी बिल्लियों के लिए पैट फीड या पालतू पशु चारा खरीदने के लिए वाहन पास जारी करने की मांग की थी।
इस याचिका की अनुमति देते हुए कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले निजता के मौलिक अधिकार के तहत पालतू जानवरों को पालने की पसंद भी उपलब्ध है।
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