पुलिस मशीनरी भारी तनाव में : बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा, 50 साल से कम उम्र के ड्यूटी नहीं कर रहे राजस्व कर्मचारियों को काम पर लगाएं
बॉम्बे हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि पुलिस मशीनरी काफ़ी तनाव में है, इसलिए राज्य को चाहिए कि जहां पुलिस की मौजूदगी ज़रूरी नहीं है वहां राजस्व विभाग के ऐसे कर्मचारियों की की सेवा ली जाए जो इस समय काम नहीं कर रहे हैं और 50 वर्ष से कम उम्र के हैं। यह याचिका मेडिकल/पैरा मेडिकल स्टाफ़ की COVID 19 से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दायर की गई है।
न्यायमूर्ति आरवी घुगे ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है जब पुलिस को चाहिए कि वह ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई करे जो मेडिकल/पैरा मेडिकल स्टाफ़ पर हमले करते हैं।
अदालत ने दैनिक लोकमत में 12 मई की एक खबर पर स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया है कि शिल्पा हिवाले नामक महिला नर्स के घर के दरवाज़े पर कुछ पड़ोसियों ने आधी रात को यह बहाना बनाते हुए दस्तक दी कि किसी को पानी की ज़रूरत है। दरवाज़ा खोलने के बाद पड़ोसी उसके घर में घुस गए। उसे घर ख़ाली करने की धमकी दी गई। उन्हें डर था कि वह इस क्षेत्र में कोरोना वायरस का संक्रमण लेकर आ जाएगी।
खबर में कहा गया कि ऐसी धमकियां अन्य लोगों को भी दी जा चुकी हैं।
सरकारी वकील डीआर काले ने बताया कि कोरोना लड़ाकों को पर्याप्त सुरक्षा दी जाएगी और स्थानीय प्रशासन और पुलिस ज़रूरी कार्रवाई करेगी।
इस मामले में एमिकस क्यूरी एआर जोशी ने औरंगाबाद के ज़िला कलेक्टर की एक सूची को अदालत में पेश किया जिसमें कहा गया है कि 16 अप्रैल तक सिर्फ़ 9542 कर्मचारियों ने ही सामुदायिक कैंटीन में पंजीकरण कराया था जबकि इनकी क्षमता 14293 की है।
न्यायमूर्ति घुगे ने कहा,
"मैं जीपी को बताना चाहता हूं कि पुलिस मशीनरी बहुत दबाव में है। COVID 19 को फैलने से रोकने के प्रयास में पुलिस वालों को गली-मुहल्लों, रेलवे स्टेशनों, विभिन्न इलाक़ों में और बाहर जाने …के लिए पास जारी करने जैसे कामों में भी लगाया गया है।
मुझे पूरा विश्वास है कि राज्य सरकार को इस बात का पता है कि कई राजस्व अधिकारी और कर्मचारी इस समय राजस्व विभाग का काम नहीं कर रहे हैं। राज्य सरकार को इस तरह के कर्मचारियों को जो 'काम पर नहीं आ रहे हैं" उनमें से विशेषकर ऐसे जो 50 साल से कम उम्र के हैं, उनको ऐसे काम पर लगाने के बारे में सोचना चाहिए जहां पुलिस की तैनाती ज़रूरी नहीं है।"
अदालत ने कहा कि जो प्रवासी श्रमिक या छात्र अपने-अपने घरों को लौटना चाहते हैं उनके रजिस्ट्रेशन के काम को देखने के लिए राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ऐसे 'काम पर नहीं आ रहे' राजस्व विभाग के कर्मचारियों को लगा सकती है ताकि पुलिस विभाग पर दबाव कम हो।
अदालत ने राज्य और स्थानीय प्रशासन को लॉकडाउन को लागू करने के लिए सिर्फ़ क़ानून सम्मत प्रभावी तरीक़े ही अपनाने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई की तिथि 12 जून 2020 निर्धारित की।
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