दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम को लागू करने की मांग करने वाली याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य से जवाब मांगा, सरकारी भवनों के निरीक्षण का आदेश दिया

Update: 2021-01-15 06:14 GMT

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016को पूर्ण रूप से लागू करने की मांग को लेकर 16 छात्रों द्वारा दायर रिट याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार (13 जनवरी) को राज्य सरकार को याचिका का जवाब दाखिल करने की अनुमति दी और सोमवार (01 फरवरी) को मामले की अगली सुनवाई सूचीबद्ध की।

मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायाधीश सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने प्रयागराज कस्बे में स्थित सभी सरकारी भवनों (2016 के अधिनियम के आवेदन से संबंधित) का पूर्ण निरीक्षण करने के निर्देश दिए।

कोर्ट के सामने दलील

विभिन्न कॉलेजों के 16 छात्रों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 को पूर्ण रूप से लागू किया जाए और आगे राजीव रतुरी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों को लागू किया जाए।

[नोट: राजीव रतुरी (सुप्रा) में, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वे दिसंबर 2018 तक राष्ट्रीय राजधानी और सभी राज्यों की राजधानियों के सभी सरकारी भवनों का 50% पूरी तरह से सुलभ बनाएं।

इस अदालत में पहुंचने से पहले याचिकाकर्ताओं ने आठ इमारतों का निरीक्षण किया था जो विभिन्न सरकारी विभागों के कब्जे में हैं । जैसा कि याचिका में कहा गया है, उनके निरीक्षण में पाया गया कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उपरोक्त भवनों में पर्याप्त सुविधाएं और सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

छात्रों की याचिका में कहा गया था कि 2016 के अधिनियम के प्रावधानों को लागू नहीं करना और राजीव रतुरी (सुप्रा) के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत दिए गए दिव्यांग व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता हैं।

प्रतिवादी 1, 2 और 3 की ओर से उपस्थित स्थायी वकील को जवाब दाखिल करने के लिए समय देते हुए खंडपीठ ने जिला समाज कल्याण अधिकारी प्रयागराज को निर्देश दिया कि वह 2016 के अधिनियम के आवेदन से संबंधित (प्रयागराज शहर में स्थित सभी सरकारी भवनों) के निरीक्षण से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करें और साथ ही राजीव रतुरी (सुप्रा) के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए निर्देशों पर कार्रवाई करें।

केस टाइटल-शबीह फातिमा और 15 अन्य बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य [जनहित याचिका (पीआईएल) नंबर-2021 के 4]

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