[पीआईटी-एनडीपीएस एक्ट] अगर प्राधिकरण संतुष्ट है कि हिरासत में लिया गया व्यक्ति मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त है, जनस्वास्‍थ्य के लिए खतरा हिरासत का आधार हो सकता है: जेकेएल हाईकोर्ट

Update: 2023-02-13 11:00 GMT

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि केवल इसलिए कि हिरासतकर्ता प्राधिकरण ने अन्य आधारों के साथ यह भी देखा है कि हिरासत में लिए गए लोगों की गतिविधियां आम जनता के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करती हैं, पीआईटी-एनडीपीएस अधिनियम की धारा 3 के तहत हिरासत के आदेश को अवैध नहीं बनाती है।

प्र‌िवेंशन ऑफ इल्लिसिट ट्रै‌फिक इन नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1988 में धारा 3 सरकार को किसी व्यक्ति को मादक दवाओं और साइकोट्रोपिक पदार्थों के अवैध व्यापार में शामिल होने से रोकने के लिए हिरासत में लेने का अधिकार देती है।

इस मामले में हिरासत में लिए गए याचिकाकर्ता ने जम्मू के संभागीय आयुक्त द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत याचिकाकर्ता को धारा 3 के तहत इस आधार पर निवारक हिरासत में लिया गया था कि याचिकाकर्ता की गतिविधियां स्वास्थ्य और लोगों के कल्याण के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं। यह तर्क दिया गया था कि ऐसा आधार पीआईटी-एनडीपीएस अधिनियम की धारा 3 की आवश्यकताओं से अलग है।

उनकी याचिका को खारिज करते हुए ज‌स्टिस संजय धर ने कहा,

"केवल इसिलए कि डिटेनिंग अथॉरिटी ने यह भी देखा है कि याचिकाकर्ता की गतिविधियां लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करती हैं, हिरासत के आदेश को अवैध नहीं बना देंगी, जब यह स्पष्ट रूप से विवादित आदेश की सामग्री से स्पष्ट है।

प्रतिवादियों ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि याचिकाकर्ता आदतन ड्रग पेडलर और तस्कर है, जो मादक दवाओं और मन:प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार में लिप्त है। उत्तरदाताओं ने आगे तर्क दिया कि हिरासत में लिया गया व्यक्ति युवा पीढ़ी के जीवन के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा है और कई अपराधों में शामिल पाया गया है और याचिकाकर्ता के खिलाफ जिला जम्मू में विभिन्न एफआईआर दर्ज की गई हैं।

मामले पर प्रतिद्वंदी दलीलों पर विचार करने के बाद, जस्टिस धर ने कहा कि पीआईटी-एनडीपीएस एक्ट की धारा 3 पूरी तरह से स्पष्ट है कि पीआईटी-एनडीपीएस एक्‍ट की धारा 3 के तहत निवारक निरोध का आदेश किसी व्यक्ति को अवैध ट्रैफिकिंग में शामिल होने से रोकने के आधार पर पारित किया जा सकता है।

डिटेंशन ऑर्डर की सामग्री पर विचार करते हुए बेंच ने कहा कि डिटेंशन के आदेश से पता चलता है कि डिटेनिंग अथॉरिटी ने देखा है कि याचिकाकर्ता नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थों के अवैध व्यापार के मामलों में बार-बार लिप्त है, जो स्वास्थ्य और लोगों के कल्याण के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं।

तदनुसार अदालत को निरोध के आक्षेपित आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला और इसलिए याचिका को खारिज कर दिया।

केस टाइटल: तजिंदर सिंह उर्फ हैप्पी बनाम यूटी ऑफ जेएंडके व अन्य।

साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (जेकेएल) 21

आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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