जनहित याचिका में लगाया आरोप, COVID-19 मरीजों के अलावा अन्य का नहीं किया जा रहा है अस्पतालों में इलाज, बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र से जवाब मांगा

Update: 2020-04-24 15:21 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को उन सभी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें आरोप लगाया गया है कि शहर के अस्पताल COVID-19 मरीजों के अलावा अन्य ( NON COVID-19) रोगियों का इलाज नहीं कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और हलफनामा दायर करें, जिसमें इस समस्या के प्रभावी समाधान भी बताए जाएं।

न्यायमूर्ति के.आर श्रीराम ने एक मेहरवान फारशेद की जनहित याचिका पर इन-चैंबर सुनवाई की। साथ ही निर्देश दिया कि इस जनहित याचिका में दिया गया आदेश अन्य दो जनहित याचिकाओं के मामले में भी लागू होगा, जो दयानंद स्टालिन और मुताहहर खान ने दायर की थी।

सभी तीन जनहित याचिकाओं में एक जैसा मुद्दा उठाया गया था और कहा गया था कि उन मरीजों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है,जो कोरोना से नहीं बल्कि किसी अन्य बीमारी से ग्रसित हैं। इन सभी याचिकाओं में मांग की गई थी कि अस्पतालों को निर्देश दिया जाए कि उन मरीजों को भी पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की जाए जो कोरोना के अलावा अन्य किसी बीमारी का इलाज करवाने आते हैं।

खान की जनहित याचिका में कई समाचार रिपोर्टों का उल्लेख किया गया है, जिनमें बताया गया है कि मुंबई के कई अस्पतालों ने अपनी सारी सुविधाओं को COVID-19 की महामारी का मुकाबला करने में समर्पित कर दिया है, इसलिए इन अस्पतालों में किसी भी अन्य बीमारी से पीड़ित रोगियों का इलाज नहीं किया जा रहा है।

यहां तक आपातकालीन या आकस्मिक विभाग में आने वाले मरीजों का भी इलाज नहीं किया जा रहा है,जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों की मौत हो गई है।

इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से यह भी मांग की है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि शहर के अस्पतालों में Covid-19 से संक्रमित मरीजों के अलावा अन्य मरीजों का इलाज भी किया जाए। जनहित याचिका में कहा गया है कि आम जनता को ऐसे अस्पतालों की एक सूची उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

वरिष्ठ अधिवक्ता ए.वाई सखारे नगर निगम की ओर से पेश हुए और उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि वह निगम को इस मामले में उचित सलाह देंगे और इन जनहित याचिकाओं के जवाब में एक हलफनामा 29 अप्रैल, 2020 तक दायर कर दिया जाएगा। सखारे ने सुझाव दिया कि यदि याचिकाकर्ताओं के पास कोई मूल्यवान सुझाव है तो वे निगम के वरिष्ठ विधि अधिकारी को इस संबंध में एक पत्र लिखकर अपने सुझाव से अवगत करा सकते हैं।

इस मामले में सीनियर एडवोकेट गायत्री सिंह याचिकाकर्ता मुताहहर खान और गौरव श्रीवास्तव याचिकाकर्ता मेहरवान फरशाद की तरफ से पेश हुए।

केंद्र सरकार की तरफ से पेश होते हुए एएसजी अनिल सिंह ने कहा कि इस याचिका में उठाए गए विषय के साथ-साथ कई अन्य बड़े मुद्दे भी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन हैं।

न्यायमूर्ति के.आर श्रीराम ने कहा कि-

''मेरे विचार में, यह भी एक ऐसा मामला है जिसके बारे में राज्य और केंद्र सरकार को चिंतित होना चाहिए। इसलिए यदि याचिकाकर्ताओं के पास कोई सुझाव हो तो वह राज्य सरकार के स्वास्थ्य सचिव और केंद्र सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय को भेज सकते हैं।

यह अदालत उम्मीद करती है कि संबंधित अधिकारी इन याचिकाओं को गंभीरता से लेंगे और प्रभावी समाधान के साथ अपने हलफनामे प्रस्तुत करेंगे। अन्य प्रतिवादी भी अपने सुझाव से निगम /राज्य सरकार/ केंद्र सरकार को अवगत करा सकते हैं। "

इस मामले की सुनवाई को स्थगित कर दिया गया और अब इस मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।  

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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