जनहित याच‌िका में आरोप, नागपुर में नहीं हो रहा सरकार के निर्देशों का पालन, अधिकारी मनमाने तरीके से लोगों को क्वारंटीन कर रहे

Update: 2020-05-04 09:23 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने रविवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें COVID 19 के संबंध में केंद्र सरकार/ ICMR द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने करने का आरोप लगाया गया था। याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया था कि यह अति-आवश्यक मामला है, जिसकी तात्कल सुनवाई की जाए।

याचिका में यह भी आरोप लगाया था कि अधिकारी नागपुर के विशेष इलाकों से लोगों को बेतरतीब तरीके से उठा रहे हैं और उन्हें क्वारंटीन सेंटर में डाल रहे थे। भले ही वे संक्रमित हों या न हों।

जस्टिस अनिल एस किलोर ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए महाराष्ट्र सरकार, भारत सरकार और नागपुर महानगरपालिका को मंगलवार तक का समय दिया है।

याचिकाकर्ता के वकील डॉ तुषार मांडलेकर ने कहा कि अधिकारी नागपुर शहर के 'सतरंजीपुरा' और 'मोमिनपुरा' इलाकों से लोगों को बेतरतीब तरीके से उठा रहे हैं और उन्हें क्वारंटीन कर रहे हें, जबकि न वे न 'हाई-रिस्क कॉन्टेक्ट्स' की श्रेणी में शामिल हैं, और न 'लो रिस्क कॉन्टेक्ट्स' की। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति उक्त श्रेणियों में से किसी में भी शामिल नहीं है तो उन्हें क्वारंटीन करना संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है।

केंद्र सरकार और ICMR की ओर से समय-समय पर जारी किए गए दिशानिर्देशों का उल्लेख करते हुए मांडलेकर ने कहा कि प्रतिवादी प्राधिकरण उपरोक्त दो क्षेत्रों से लोगों को उठा रहा है और उन्हें एमएलए हॉस्टल और विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (वीएनआईटी) में क्वारंटीन किया जा रहा है, जबकि ये सेंटर भीड़-भाड़ वाले इलाकों में स्थित है। उन्होंने कहा, दिशा-निर्देशों के अनुसार, समुदाय आधारित सुविधाओं में क्वारंटीन की सुविधा, भीड़भाड़ वाले और आबादी वाले क्षेत्रों से दूर, शहरी क्षेत्र के बाहरी इलाके में रखी जाएगी।

जस्टिस किलोर ने याचिकाकर्ता की जानकारी के स्रोत के संबंध में पूछताछ की, जिस पर मांडलेकर ने कहा कि याचिका‌ समाचारों पर आधारित है और उनका मुवक्किल उन समाचारों का सत्यापन नहीं कर सकता क्योंकि उसे उक्त क्षेत्रों में प्रवेश की अनुमति नहीं है।

नागपुर महानगर पालिका (NMC) की ओर से पेश अधिवक्ता सुधीर पुराणिक ने कहा कि उन्हें याचिका की प्रति आज ही दी गई है, इसलिए वह केवल मौखिक निर्देश ले सकते हैं। उनके निर्देशों के अनुसार, उन मरीजों को क्वारंटीन किया जा रहा है, जो 'हाई-रिस्क कॉन्टेक्ट्स' की श्रेणी में हैं। निगम COVID-19 के संबंध में जारी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन कर रहा है।

मामले में सरकारी अधिवक्ता एसवाई देवपुजारी, राज्य सरकार की ओर से एडिसनल सॉलिसिटर जनरल यूएम औरंगाबादकर भारत सरकार की ओर से पेश हुए।

एनएमसी ‌की ओर से डॉ प्रवीण गंटावर भी सुनवाई में शाामिल हुए। उन्होंने बताया कि लोगों को क्वारंटीन करने से पहले इस दिशा-निर्देशों के अनुसार हर सावधानी बरती गई है। डॉ गंटावर ने कहा, "जिन्हें क्वारंटीन किया गया है, वे 'हाई-रिस्क कॉन्टेक्ट्स' की श्रेणी में शामिल हैं। COVID-19 की श्रृंखला को तोड़ने और नागपुर शहर के नागरिकों के हित में, ऐसे कदम उठाए गए हैं।"

मांडलेकर ने कहा कि प्राध‌िकरण नागपुर शहर के लोगों के हित में काम कर रहे हैं और जो भी कदम उठा रहे हैं वह नागपुर शहर के हित में हैं और COVID-19 की श्रृंखला को तोड़ने के इरादे से उठाया गया है। उन्होंने कहा कि वह भीड़भाड़ वाले इलाकों में लोगों को क्वारंटीन किए जाने से चिंतित हैं, इससे इन इलाकों आसपास रहने वाले लोगों को भी संक्रमण होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

प्रतिवादियों की ओर से पेश वकीलों ने अदालत से दो दिन का समय मांगा ताकि याचिका में लगाए गए आरोपों के संबंध में स्थिति स्पष्ट कर सकें। अदालत ने जवाब दाखिल करने के लिए 5 मई तक का समय दिया है।

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