हरियाणा की अदालतों में हिन्दी लागू करने को चुनौती देने वाली याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का नोटिस
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा की दीवानी और फौजदारी अदालतों में हिन्दी को आधिकारिक भाषा घोषित करने वाले हरियाणा आधिकारिक भाषा (संशोधन) अधिनियम, 2020 को वकीलों के एक समूह द्वारा चुनौती दी जाने वाली रिट याचिका पर सोमवार को नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील समीर जैन ने दलील दी कि हरियाणा आधिकारिक भाषा (संशोधन) अधिनियम, 2020 अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 30 तथा संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(एक)(जी) के विरुद्ध है। साथ ही, याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि यह संशोधन किसी बोधगम्य अंतर के आधार पर वर्गीकरण करने में असफल रहा है तथा अंग्रेजी बोलने वाले वकीलों एवं वादियों के अधिकारों को प्रतिबंधित करना गैर-वाजिब है और इस संशोधन अधिनियम से होने वाले लाभ का कोई तार्किक आधार नहीं है। यह भी दलील दी गयी कि इस तरह की अधिसूचना जारी करने का उद्देश्य स्पष्ट नहीं है और इस अधिनियम से यदि कोई लाभ हासिल करने का प्रयास किया गया है तो उसका कोई तार्किक आधार नहीं है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सभी लॉ कॉलेजों में अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करायी जाती है और कानूनी शब्दावलियों का हिन्दी अर्थ सभी वकीलों को नहीं भी पता हो सकता है।
न्यायमूर्ति राजन गुप्ता और न्यायमूर्ति करमजीत सिंह की पीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किये और सुनवाई की अगली तारीख 29 जून 2020 मुकर्रर करते हुए उस दिन तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
इस मामले के अन्य याचिकाकर्ताओं में संदीप बजाज, अंगद संधु, सुविज्ञ अवस्थी और अनंत गुप्ता शामिल हैं।
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