महिला के नहाने के दौरान बाथरूम में झांकना निजता का हनन, ताक-झांक करने का अपराध : दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि जब एक महिला नहा रही हो और उस दरमियान कोई पुरुष स्नानघर के अंदर झांकता है तो यह उस महिला की निजता पर हमला होगा और ताक-झांक करने का अपराध भी बनेगा।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का बाथरूम में नहाना, चाहे वह पुरुष हो या महिला, दरअसल एक "निजी कार्य" है क्योंकि यह बाथरूम की चार दीवारी के अंदर हो रहा है।
कोर्ट ने कहा,
"इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बंद स्नानघर के अंदर नहा रही एक महिला उचित रूप से उम्मीद करेगी कि उसकी निजता पर हमला ना किया गया हो और उसे देखा ना जा रहा हो, क्योंकि वह पर्दे के पीछे, चार दीवारी के पीछे है। उक्त स्नानघर के अंदर झांकने वाले अपराधी के कृत्य को निश्चित रूप से उसकी निजता पर आक्रमण माना जाएगा।”
अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354सी के तहत एक व्यक्ति को दोषी ठहराए जाने और एक साल के कठोर कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की। उसे 2021 में एक झुग्गी के बाहर बने स्नानघर के अंदर झांकने के लिए दोषी ठहराया गया था।
हालांकि, अदालत ने पॉक्सो अधिनियम की धारा 12 के तहत उसकी दोषसिद्धि को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असमर्थ था कि घटना के समय पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से कम थी।
अदालत ने कहा कि चूंकि पीड़िता की उम्र 18 साल से कम साबित नहीं की जा सकी, इसलिए पॉक्सो अधिनियम के तहत अपीलकर्ता की दोषसिद्धि को बरकरार नहीं रखा जा सकता है। अदालत ने कहा कि पीड़िता उस समय में कॉलेज में पढ़ रही थी और अभियोजन पक्ष के एक गवाह के बयान के अनुसार, घटना के दिन उसकी उम्र लगभग 17 वर्ष थी।
कोर्ट ने कहा,
"चूंकि जन्म प्रमाणपत्र पर गोद लेने की तारीख का उल्लेख किया गया है, न कि जन्म की तारीख का। इसलिए ट्रायल कोर्ट का जन्म की तारीख पर भरोसा करना एक त्रुटि है, जो इस संबंध में पीड़िता के माता-पिता की स्वीकारोक्तियों के अनुसार, मान्यताओं पर आधारित था।”
कोर्ट ने कहा,
"अपीलकर्ता का बाथरूम के अंदर झांकने का कृत्य, दुर्भाग्य से जिसमें दरवाजे के बजाय केवल एक पर्दा था, निश्चित रूप से आईपीसी की धारा 354 सी के तहत आपराध को आकर्षित करेगा। कहने की जरूरत नहीं है कि इस तरह का कृत्य निश्चित रूप से एक महिला को शर्मिंदगी में डाल देगा और उसे लगातार डर लगेगा कि जब वह एक अस्थायी बाथरूम की चारदीवारी के पीछे नहाएगी।'
धारा 354सी की व्याख्या एक का विश्लेषण करते हुए, अदालत ने कहा कि ताक-झांक करने की परिभाषा के दायरे में अपराधी द्वारा देखने का वह कार्य शामिल होगा, जब वह एक महिला को उसके उपयोग की जगह, जहां उसे उम्मीद होगी की उसे निजता मिल रही है, पर तब देखेगा, जब वह एक "निजी कार्य" में लगी हुई हो। उस स्थान पर उसके जननांगों, शरीर के पिछले हिस्से या स्तन खुले होंगे या केवल अंतःवस्त्रों में ढका होगा।"
अदालत ने कहा कि अर्थ में ऐसी स्थिति भी शामिल होगी जहां पीड़िता शौचालय का उपयोग कर रही है या यौन क्रिया कर रही है जो आमतौर पर सार्वजनिक रूप से नहीं की जाती है और उसे "उचित उम्मीद" है कि वह अपराधी द्वारा या कोई अन्य व्यक्ति नहीं देखी जाएगी, या जहां वह अपनी छवियों को कैप्चर करने की सहमति देती है, लेकिन तीसरे व्यक्तियों को उनके प्रसार के लिए नहीं।
अदालत ने अपीलकर्ता के वकील के इस तर्क को गुणहीन और बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया कि चूंकि पीड़िता द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला शौचालय सार्वजनिक स्थान पर था, इसलिए वहां नहाने की क्रिया को निजी कार्य नहीं माना जा सकता है।
यह देखते हुए कि ताक-झांक करने को अपराध मानने का उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध को रोकना और उनकी निजता और यौन पवित्रता की रक्षा करना है, अदालत ने कहा,
"कानून को यह सुनिश्चित करना है कि सभी नागरिक मन की शांति के साथ शांतिपूर्ण जीवन का आनंद लेने में सक्षम हों, यह आश्वासन देते हुए कि उनकी निजता का सम्मान किया जाता है और इस प्रकार का अतिचार और शरारत अपराधी के दृश्यरतिक व्यवहार की आपराधिकता को आकर्षित करेगी। प्रत्येक व्यक्ति की यौन पवित्रता का सम्मान किया जाना चाहिए और इसके किसी भी उल्लंघन से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।”
अदालत अपीलकर्ता के वकील की दलीलों से भी पूरी तरह असहमत थी कि अगर दोषसिद्धि को रद्द नहीं किया जाता है, तो इसका मतलब यह होगा कि सार्वजनिक स्थानों जैसे धार्मिक स्थलों, पवित्र नदियों या स्वीमिंग पूल, जहां महिलाएं नहा सकती हैं, उनकी मौजूदगी मात्र से उन लोगों पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
हालांकि कोर्ट ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर पवित्र स्नान करने की तुलना उस बंद बाथरूम से नहीं की जा सकती, जहां एक महिला स्नान कर रही है। अदालत ने कहा कि हालांकि ऐसे मामलों में उचित अपेक्षा होगी कि ऐसी महिलाओं की तस्वीरें या वीडियो नहीं लिए जाएं या वीडियो नहीं बनाए जाएं।
केस टाइटल: सोनू@बिल्ला बनाम राज्य, थानेदार के माध्यम से, थाना पश्चिम विहार पूर्व