पटना हाईकोर्ट ने 21 लाख रुपए की साइबर धोखाधड़ी मामले में एफआईआर दर्ज करने में विफलता के लिए पुलिस थाना प्रभारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया

Update: 2022-03-09 09:18 GMT

पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने हाल ही में कदमकुआं पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया कि क्यों न उनके खिलाफ 21 लाख रुपए की धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज करने में विफलता के लिए अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए।

न्यायमूर्ति संदीप सिंह की खंडपीठ ने कदमकुआं पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी की कार्रवाई को अदालत के 21 फरवरी के आदेश के मद्देनजर अवमानना कहा, जिसमें अदालत ने विशेष रूप से आदेश दिया कि इस प्रकार के मामले में पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी एफआईआर दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने 23 फरवरी को बिहार पुलिस के अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि यदि वे साइबर अपराध के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार करते हैं, तो उन्हें अदालत की अवमानना की कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा.

खंडपीठ ने अदालत के समक्ष दूरसंचार कंपनियों द्वारा किए गए सबमिशन पर ध्यान देने के बाद कहा कि कुछ थानों में साइबर अपराध से संबंधित एफ.आई.आर. के पंजीकरण में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन थानों के प्रभारी अधिकारी एफ.आई.आर. दर्ज करने से इनकार कर रहे हैं।

कोर्ट ने यह भी नोट किया कि कदमकुआं पुलिस स्टेशन द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं करने की कार्रवाई ललिता कुमारी बनाम यूपी राज्य (2014) 2 एससीसी 1 के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का भी उल्लंघन है।

अनिवार्य रूप से, न्यायालय ने यह आदेश एक ऐसे मामले में जारी किया है जिसे वर्तमान में न्यायालय द्वारा साइबर अपराध के खतरे को मिटाने के प्रयास में निपटाया जा रहा है।

इस खतरे से निपटने की आवश्यकता को पिछले साल न्यायालय ने बिहार के नवादा शहर से संचालित एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका पर विचार करते हुए महसूस किया था, जिसे कथित तौर पर धोखाधड़ी के उद्देश्य से 28 पृष्ठों में निहित मोबाइल फोन नंबरों लिखा हुआ पाया गया था।

4 मार्च को, एक कंचन झा की ओर से पटना उच्च न्यायालय में एक वार्ता आवेदन दायर किया गया था जिसमें बताया गया था कि साइबर अपराधियों द्वारा साइबर धोखाधड़ी में उसे 21 लाख से अधिक का नुकसान हुआ है और उसने कदमकुआं पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की थी। हालांकि, पुलिस द्वारा कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।

कोर्ट ने थाना प्रभारी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए आवेदक कंचन झा को भी अपनी शिकायत ई.ओ.यू. और उसकी एक प्रति ई.ओ.यू की ओर से पेश होने वाले वकील को दें।

इसके अलावा, ई.ओ.यू. एफआईआर दर्ज करने, जांच आगे बढ़ाने और दो सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

अंत में, जिन बैंकों से अवैध रूप से राशि निकाली गई है, उन्हें भी 10 मार्च, 2022 तक अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।

इसके साथ ही मामले को 11 मार्च, 2022 को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया गया है।

केस का शीर्षक - शिव कुमार बनाम बिहार राज्य

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