COVID-19 महामारी के दौरान ट्रांसजेंडर समुदाय की स्थिति को लेकर दायर याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया

Update: 2020-05-05 02:15 GMT

पटना हाईकोर्ट ने COVID-19 महामारी के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान ट्रांसजेंडर समुदाय की बदहाल स्थिति को लेकर दायर एक याचिका पर बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है। इस याचिका में इस समुदाय के लोगों को वित्तीय मदद देने का निर्देश देने की मांग अदालत से की गई है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की पीठ ने इस याचिका पर ग़ौर किया जिसमें बताया गया है कि इस समुदाय के लोगों को बहिष्करण झेलना पड़ता है और वह भी आज के समय में जब महामारी फैला हुई है।

याचिका एडवोकेट आकाश केशव और शाश्वत श्रीवास्तव ने दायर की है। इससे पहले इन लोगों ने राज्य के मुख्य सचिव को ईमेल के माध्यम से भी इस मामले की जानकारी दी थी जिसमें इस समुदाय के लोगों को वित्तीय मदद देने की मांग की गई थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिलने ये लोग अदालत में याचिका दायर करने को बाध्य हुए।

याचिका में मांग की गई है कि -

1. समुदाय के प्रत्येक सदस्य को अगले छह माह तक हर महीने ₹5000 और 25 किलो राशन दिया जाए।

2. अगर समुदाय का कोई व्यक्ति किराए पर रह रहा है तो उसे अगले छह माह तक हर महीने किराए के रूप में ₹2000 दिये जाएं।

3. उन्हें केंद्र और राज्य सरकार की योजना के तहत राशन की दुकान से छह माह तक कि लिए मुफ़्त राशन दिया जाए भले ही उनके पास राशन कार्ड हो या नहीं हो। किराए पर रहे रहे लोगों के साथ-साथ इस समुदाय के हर व्यक्ति को राशन कार्ड जारी किया जाए।

4. आंगनवाड़ी की तरह ही उप-संभागीय स्तर या ब्लॉक स्तर पर सुविधा केंद्र बनायी जाए और ट्रांसजेंडर समुदाय के ही लोगों को इसको चलाने की ज़िम्मेदारी सौंपी जाए ताकि इस समुदाय के लोगों को पोषक आहार उपलब्ध कराया जा सके।

5. इनको मासिक पेंशन की सुविधा दी जाए जो ₹3500 प्रतिमाह से कम नहीं होनी चाहिए।

6. इनकी शिकायतों का शीघ्र निपटारा करने के लिए व्यवस्था बनाई जानी चाहिए और इस तरह के शिकायतों का निपटारा आवेदन देने के 20 दिनों के अंदर होना चाहिए।

याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में झारखंड सरकार को झारखंड हाईकोर्ट के हाल के निर्देश का भी हवाला दिया गया है जिसमें अमरजीत सिंह बनाम मुख्य सचिव, झारखंड मामले में 17 अप्रैल 2020 को अदालत ने राज्य के ट्रांसजेंडर को भोजन और अन्य मदद देने को कहा। कर्नाटक में भी इसी तरह का आदेश दिया गया है।

आदेश की प्रति डाउनलोड करें 



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