मुकदमे के पक्षकारों को यह अधिकार है कि वे अपना दावा खारिज होने का कारण जानें : केरल हाईकोर्ट

Update: 2022-02-01 15:25 GMT

केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि मुकदमेबाजी के पक्षकार को अपने दावों से इनकार करने के कारणों के बारे में सूचित करने का अधिकार है। हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमे के पक्षकारों को यह अधिकार है कि वे अपना दावा खारिज होने का कारण जानें।

जस्टिस मैरी जोसेफ ने फैमिली कोर्ट द्वारा पारित एक नॉन स्पीकिंग ऑर्डर खारिज करते हुए कहा कि हालांकि ऐसा कोई नियम नहीं है कि मांगी गई सभी राहतों की अनुमति दी जानी चाहिए, लेकिन एक पक्षकार यह जानने का हकदार है कि उसकी प्रार्थना क्यों अस्वीकार कर दी गई।

कोर्ट ने कहा,

"कोई कठोर नियम नहीं है कि पक्षकार के सभी दावों की अनुमति दी जानी चाहिए। लेकिन, पक्षकार को अपने दावे को अस्वीकार करने के कारणों के बारे में सूचित करने या भविष्य की तारीख पर विचार करने के लिए समय देने का अधिकार है। चूंकि इस तरह आक्षेपित आदेश में कोई कारण नहीं बताया गया है।"

आक्षेपित आदेश में प्रतिवादी-पति को याचिका के निपटारे तक बच्चे को अंतरिम भरण-पोषण भत्ते के रूप में 6,000/- रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। हालांकि, पत्नी को बिना कोई कारण बताए अंतरिम भरण पोषण भत्ते से वंचित कर दिया गया।

इससे व्यथित होकर याचिकाकर्ता (पत्नी) ने अधिवक्ता एस. सुनील कुमार व बी.एस. सूरज कृष्ण के माध्यम से याचिका दायर की।

प्रतिवादियों का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता अरविंद वी. मैथ्यू ने किया।

अदालत ने कहा कि पत्नी को अंतरिम भरण पोषण भत्ता देने से इनकार करने का कारण आक्षेपित आदेश से प्रकट नहीं हुआ और इस कारण से यह एक नॉन स्पीकिंग ऑर्डर था।

न्यायाधीश ने दूसरे प्रतिवादी (पति) को नोटिस दिए बिना आंशिक रूप से याचिका की अनुमति देना उचित समझा।

इस प्रकार आक्षेपित आदेश को इस हद तक कम किया गया कि इसने बच्चे को अंतरिम भरण-पोषण भत्ता के रूप में 6,000/- रुपये देने के निर्देश में हस्तक्षेप नहीं किया गया।

इस प्रकार, फैमिली कोर्ट को निर्देश दिया गया कि वह याचिकाकर्ता के अंतरिम भरण-पोषण भत्ते के दावे पर विचार करे और तीन सप्ताह की अवधि के भीतर पर्याप्त और संतोषजनक कारण बताते हुए उचित आदेश (या तो दावे को अस्वीकार करना या अनुमति देना) पारित करे।

केस शीर्षक: जिजी सी. सेनन और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य

प्रशस्ति पत्र: 2022 लाइव लॉ (केरल) 50

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