उड़ीसा हाईकोर्ट ने हनुमान जयंती समारोह के दौरान दुकानों में तोड़फोड़ करने, मुसलमानों के खिलाफ नारे लगाने के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इंकार किया
उड़ीसा हाईकोर्ट ने हनुमान जयंती समारोह के दौरान दुकानों में तोड़फोड़ करने और मुसलमानों के खिलाफ नारे लगाने के आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से मना किि
उड़ीसा हाईकोर्ट ने हाल ही में मुस्लिम समुदाय से संबंधित दुकानों पर हमला करने और उनके खिलाफ नारे लगाने के लिए लोगों के एक समूह का नेतृत्व करने के आरोपी एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है, जिसके कारण पिछले महीने संबलपुर शहर में हिंसक स्थिति पैदा हो गई थी।
जस्टिस चितरंजन दास की सिंगल जज बेंच ने गिरफ्तारी पूर्व जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा,
“… एफआईआर में लगाए गए आरोपों की तुलना में गिरफ्तारी पूर्व जमानत प्रदान करना, जब स्थिति अस्थिर हो तो इसका बहुत प्रभाव पड़ेगा और इस तरह यह वांछनीय नहीं है कि जांच/पूछताछ के अधीन याचिकाकर्ता के पक्ष में गिरफ्तारी पूर्व जमानत की अनुमति दी जाए।"
14.04.2023 को संबलपुर शहर में न्यू अलीशान शू सेंटर में कथित रूप से तोड़फोड़ करने के लिए याचिकाकर्ता सहित कुछ व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। घटना तब हुई जब हनुमान जयंती मनाने के लिए जुलूस निकाला जा रहा था।
प्रारंभिक जांच में पता चला कि करीब 50 लोगों ने हनुमान जयंती के जुलूस में उमड़ी भीड़ का फायदा उठाकर शू सेंटर पर हमला कर दिया और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अपमानजनक और भड़काऊ नारे लगाए, जिससे उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची।
यह आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता ने समूह का नेतृत्व किया था और उसने पहले 12.04.2023 को हनुमान जयंती सेवा समिति द्वारा निकाली गई एक बाइक-रैली के दौरान हुई कुछ हिंसक घटनाओं के प्रतिशोध में मुस्लिम समुदाय की दुकानों और आवासीय घरों पर हमला करने की साजिश रची थी। इससे बहुत ही खतरनाक स्थिति पैदा हो गई जिसके लिए पूरे संबलपुर शहर में कर्फ्यू लगाना पड़ा।
याचिकाकर्ता ने अपनी गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए अग्रिम जमानत देने की प्रार्थना करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने तर्क दिया कि कथित घटना में उनकी कोई भूमिका नहीं थी और उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया था। उन्होंने दलील दी कि कथित अपराधों में उन्हें फंसाने के लिए एफआईआर में कुछ भी नहीं है।
हालांकि, एफआईआर पर विचार करने के बाद, अदालत ने कहा,
"वर्तमान याचिकाकर्ता का नाम अन्य लोगों के साथ एफआईआर में दर्ज है, जिन्होंने भीड़ का नेतृत्व किया और दुकानों के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय के आवासीय घरों पर हमला किया। इस तथ्य का न्यायिक नोटिस भी लिया जा सकता है कि उसके बाद दंगा हुआ और आगजनी और खून-खराबा हुआ।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि एफआईआर में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह बताता हो कि याचिकाकर्ता एक प्रतिष्ठित पद पर है ताकि यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि उसे बदनाम करने के लिए उस पर झूठे आरोप लगाए जा सकते थे।
अदालत ने कहा, "याचिकाकर्ता द्वारा गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए अपनी प्रार्थना में ऐसा कुछ भी नहीं दिखाई देता है, जिसमें उसे साफ-सुथरी छवि वाला व्यक्ति या प्रतिष्ठित व्यक्ति दिखाया गया हो, हिरासत में पूछताछ से उसकी छवि धूमिल होगी।"
न्यायालय का विचार था कि अग्रिम जमानत देने का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, खासकर जब स्थिति अस्थिर है और पूरी तरह से सामान्य नहीं है। इसलिए अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।
केस टाइटल: अनिकेत मिश्रा बनाम ओडिशा राज्य
केस नंबर: एबीएलएपीएल नंबर 4068 ऑफ 2023