उड़ीसा हाईकोर्ट ने दो पहिया वाहन के उपयोग से बैन हटाया, जब्त वाहनों को अंडरटेकिंग लेने के बाद छोड़ने का आदेश

Update: 2020-04-11 14:17 GMT

उड़ीसा हाईकोर्ट ने गुरुवार को लॉकडाउन उल्लंघनकर्ताओं के वाहनों को जब्त करने के संबंध में महत्वपूर्ण टिप्पणी की और कहा कि जब तक राज्य में " पैदल चलने योग्य दूरी" पर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं होती है, वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध उचित नहीं है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस पांडा और न्यायमूर्ति बिश्वनाथ रथ की खंडपीठ ने कहा कि जब से देशव्यापी लॉकडाउन लागू हुआ है, राज्य के लोग "गंभीर पीड़ा" में हैं और दो पहिया वाहनों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध है। पैदल चलकर  जाने योग्य दूरी पर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता की किसी प्रणाली के अभाव में लोगों की समस्याएं और बढ़ेंगी।

अदालत ने इसे पुलिस विभाग से "मानवीय दृष्टिकोण से देखने को और निर्देश दिया और कहा, 

"जब तक कोई विशेष दिशानिर्देश और उचित व्यवस्था ऊपर के मामले में नहीं लाई जाती है, तब तक दो पहिया वाहनों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं होना चाहिए और इस तरह के सवारों द्वारा संतोषजनक स्पष्टीकरण के अधीन उन्हें छूट दी जा सकती है।"

यह आदेश राज्य में "अनिश्चित स्थिति" को ध्यान में रखते हुए दिया गया, जिसमें  पैदल चलकर जाने योग्य दूरी पर सब्जियों, दवाओं और अन्य उपयोगी वस्तुओं की उपलब्धता के मामले में कोई विशेष तंत्र नहीं है।

अदालत ने कहा कि सामान लेने के लिए वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और साइकिल चलाने में असमर्थ व्यक्तियों सहित विभिन्न श्रेणी के लोगों को बाहर निकलने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

इस पृष्ठभूमि में पीठ ने उम्मीद जताई कि सरकार स्थानीय स्तर पर ऐसी आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता पर "समग्र योजना" बनाएगी, जिससे जल्द से जल्द दो पहिया वाहनों के उपयोग की आवश्यकता न हो।

इस निर्देशन में " पहले से ज़ब्त वाहनों को बिना किसी जुर्माने के छोड़ा जाएगा, लेकिन संबंधित व्यक्तियों से अंडरटेकिंग लिया जाएगा कि वह आगे वाहन का उपयोग नहीं करेगा।

इस तरह की व्यवस्था कम से कम तब तक जारी रह सकती है, जब तक सरकार उचित दिशा-निर्देशों और सिस्टम के साथ आने वाली उपयोगी वस्तुओं को उपलब्ध कराने के लिए कोई प्रक्रिया नहीं लाती, जिसमें वॉकिंग डिस्टेंस पर आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध हों।

हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि "इसे प्रतिबंध को पूर्ण रूप से समाप्त करने के रूप में नहीं माना जा सकता।

COVID-19 महामारी से संबंधित विभिन्न मुद्दों और पहलुओं को उठाते हुए, एक बिजय कुमार रगड़ा द्वारा दायर जनहित याचिका में टिप्पणियों को प्रस्तुत किया गया।

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि लॉकडाउन अवधि के दौरान, लॉकडाउन की शर्तों के उल्लंघन के बाद पुलिस अधिकारियों द्वारा कई वाहनों को जब्त किया गया था। उसी अनुसार उपर्युक्त अवलोकन किए गए थे




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