केवल भारत का चुनाव आयोग ही यह तय करने में सक्षम है कि उपचुनाव कब करवाने हैं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को खंडवा संसदीय क्षेत्र और पृथ्वीपुर, जोबट और राजगढ़ विधानसभा क्षेत्रों के लिए उपचुनाव टालने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि केवल भारत का चुनाव आयोग ही यह तय करने में सक्षम है कि उपचुनाव कब करवाने हैं।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच द्वारा COVID-19 की तीसरी लहर की आशंका के बीच उप-चुनावों को स्थगित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
राज्य में कोरोनावायरस की जमीनी हकीकत का आकलन करने के बाद ही प्रतिवादियों को उपचुनाव कराने का निर्देश देने की प्रार्थना की गई है।
इस मामले में अपना जवाब दाखिल करते हुए चुनाव आयोग ने अदालत को 4 सितंबर के एक प्रेस नोट से अवगत कराया, जिसमें उसने COVID-19 के कारण अन्य 31 विधानसभा क्षेत्रों और 3 संसदीय क्षेत्रों में उपचुनाव नहीं कराने का फैसला किया।
चुनाव आयोग ने आगे कहा कि संवैधानिक आवश्यकता और पश्चिम बंगाल राज्य से प्राप्त एक विशेष अनुरोध पर विचार करते हुए उसने भबनीपुर में उप-चुनाव कराने का निर्णय लिया है।
ईसीआई के इस सबमिशन के जवाब में कोर्ट ने कहा कि यह मानने का कोई कारण नहीं है कि ऐसा निर्णय (उप-चुनावों को स्थगित करना) आयुक्त द्वारा COVID-19 की स्थिति का आकलन करने के बाद नहीं लिया जाएगा।
अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर प्रस्तुत सामग्री स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि चुनाव आयोग कोरोनावायरस की स्थिति से पूरी तरह से अवगत है और इसलिए, उपचुनाव का आयोजन नहीं करने के लिए कुछ समय के लिए एक सचेत निर्णय लिया है।
न्यायालय ने इसके अलावा भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 का हवाला देते हुए यह भी कहा,
"यह कानून की एक स्थापित स्थिति है कि संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग के लिए ऐसे खाली क्षेत्र में कार्य करने की शक्ति का भंडार है जहां अधिनियमित कानून कोई प्रावधान नहीं करते हैं या चुनाव आयोग के सामने निर्णयों के क्रम में चुनावों का संचालन से निपटने के लिए अपर्याप्त प्रावधान करते हैं।"
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के 2002 के स्पेशल रेफरेंस नंबर 1, एआईआर 2003 एससी 87 का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि चुनावों के संबंध में निर्णय में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि भारत का चुनाव आयोग तय करने के लिए सबसे उपयुक्त है।
कोर्ट ने अंत में याचिका को खारिज करते हुए कहा कि केवल भारत का चुनाव आयोग ही यह तय करने में सक्षम है कि खंडवा के संसदीय क्षेत्र और पृथ्वीपुर, जोबट और राजगढ़ के विधानसभा क्षेत्रों के उप-चुनाव कब होने चाहिए।
चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ पेश हुए।
केस का शीर्षक - नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच बनाम मध्य प्रदेश राज्य