ऑनलाइन मार्केटप्लेस को आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत दायित्व से छूट: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फ्लिपकार्ट को प्रोड्क्ट विसंगति मामले में राहत दी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79 के जनादेश को ध्यान में रखते हुए हाल ही में ऑनलाइन मार्केटप्लेस फ्लिपकार्ट को ऐसे मामले के संबंध में राहत दी, जिसमें फ्लिपकार्ट पर लिस्टेड सेलर ने अलग कंपनी प्रोसेसर वाला लैपटॉप ग्राहक को बेचा गया।
संदर्भ के लिए आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79 कुछ मामलों में बिचौलियों (जैसे ऑनलाइन मार्केटप्लेस जैसे फ्लिपकार्ट) के दायित्व से छूट देती है। प्रावधान में कहा गया कि मध्यस्थ किसी थर्ड पार्टी की जानकारी, डेटा या संचार लिंक उपलब्ध कराने या उसके द्वारा होस्ट किए जाने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।
हालांकि, यह प्रावधान लागू नहीं होगा यदि मीडिएटर ने साजिश या उकसाया या सहायता या प्रेरित किया है, चाहे वह धमकी या वादे से मुकरने के या अन्यथा गैरकानूनी कृत्य के कमीशन में हो।
संक्षेप में मामला
वर्तमान मामले में फ्लिपकार्ट इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड और उसके अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 406, 420, 467, 468, 471, 474, और 474-ए के तहत एफआईआर दर्ज की गई। संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी और मजिस्ट्रेट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
शिकायतकर्ता का यह मामला है कि उसने फ्लिपकार्ट पर लिस्टेड विक्रेता से लैपटॉप ('इंटेल' ब्रांड का प्रोसेसर वाला) खरीदा। हालांकि, उसे जो लैपटॉप मिला, उसमें 'एएमडी' ब्रांड का प्रोसेसर था। इस प्रकार, शिकायतकर्ता ने दावा किया कि चूंकि प्रोडक्ट की डिलीवरी विनिर्देशों के अनुसार नहीं थी, जिसके लिए ऑर्डर दिया गया था, इसलिए एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।
फ्लिपकार्ट का मामला
इस एफआईआर को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता-कंपनी ने इस आधार पर हाईकोर्ट का रुख किया कि फ्लिपकार्ट ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस है, जो खरीदारों और विक्रेताओं को उनकी वेबसाइट के माध्यम से एक्सेस प्रदान करता है। खरीदार और विक्रेता खरीद और बिक्री लेनदेन को अंजाम देने के लिए मिलते हैं और बातचीत करते हैं और इसमें फ्लिपकार्ट की सीमित भूमिका है।
उसका तर्क है कि वेबसाइट केवल ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसका उपयोग उपयोगकर्ताओं द्वारा उत्पादों या सेवाओं को खरीदने और बेचने के लिए बड़े आधार तक पहुंचने के लिए किया जा सकता है और याचिकाकर्ता-कंपनी केवल संचार के लिए प्लेटफॉर्म प्रदान कर रही है, किसी भी प्रोडक्ट या सेवा की बिक्री के लिए वास्तविक अनुबंध ऐसे उत्पाद के विक्रेता और खरीदार के बीच सख्ती से होता है।
अंतिम रूप से यह तर्क दिया गया कि कार्यक्षमता के संदर्भ में फ्लिपकार्ट 'मध्यस्थ' है, जैसा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2004 की धारा 2(1)(w) के तहत परिभाषित किया गया है, जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। प्लेटफॉर्म पर खरीदारों और विक्रेताओं के बीच लेनदेन पूरी तरह से स्वतंत्र है। फ्लिपकार्ट के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनता।
न्यायालय की टिप्पणियां
जस्टिस सुनीत कुमार और जस्टिस सैयद वाइज़ मियां की पीठ ने कहा कि अधिनियम की धारा 79 इंटरनेट बिचौलियों के लिए सुरक्षित प्रावधान है, जो तीसरे पक्ष द्वारा उत्पन्न सामग्री, उत्पादों और सेवाओं को होस्ट, प्रसार और अनुक्रमणिका तक पहुंच प्रदान करता है। कोर्ट ने कहा कि इसमें ई-कॉमर्स बिचौलिए शामिल हैं, जहां प्लेटफॉर्म बेचे जाने वाले सामान का स्वामित्व नहीं लेते हैं।
कोर्ट ने आगे कहा कि फ्लिपकार्ट मध्यस्थ और ऑनलाइन मार्केटप्लेस के रूप में केवल तटस्थ प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करता है, जो विक्रेताओं को खरीदारों/ग्राहकों के साथ बातचीत करने की अनुमति देता है, बिना किसी सामान पर स्वामित्व का प्रयोग किए या किसी भी सामान के निर्माण या लेनदेन में शामिल नहीं होता है। विक्रेता/खरीदार की ओर से जानकारी प्राप्त करता है और संग्रहीत करता है। सुविधाकर्ता/मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है।
इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि फ्लिपकार्ट इस मामले में विक्रेता नहीं है, यह कंपनी के साथ रजिस्टर्ड विक्रेता हैं, जो अपने प्लेटफॉर्म पर उत्पादों और सेवाओं के विक्रेता हैं। ये विक्रेता हैं, जो खरीदार/ग्राहक के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं।
यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि ऑनलाइन मार्केटप्लेस का प्रदाता या प्रवर्तक अपनी वेबसाइट/मार्केटप्लेस पर बेचे जाने वाले सभी उत्पादों से अवगत है। केवल यह आवश्यक है कि ऐसे प्रदाता या प्रवर्तक एक मध्यस्थ के रूप में अपनी भूमिका और दायित्व का निर्वहन करने के लिए लागू कानूनों के तहत सभी विक्रेताओं को उनकी जिम्मेदारियों और दायित्वों के बारे में अपने प्लेटफॉर्म पर सूचित करने के लिए मजबूत प्रणाली स्थापित करें। यदि माल या सेवा के विक्रेता द्वारा इसका उल्लंघन किया जाता है तो ऐसे विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है लेकिन मध्यस्थ के खिलाफ नहीं की जा सकती।
इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि फ्लिपकार्ट को आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत किसी भी दायित्व से छूट दी गई है। किसी भी उल्लंघन को मध्यस्थ के निदेशकों या अधिकारियों के खिलाफ कभी भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता या नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि यह केवल विकृत होगा। उनके खिलाफ शुरू की गई ऐसी कार्यवाही अन्यायपूर्ण और कानून गलत होगी।
कोर्ट ने रेखांकित किया कि आईटी अधिनियम की, 2000 की धारा 79(3)(बी) के तहत मध्यस्थ की एकमात्र देयता। न्यायालय के आदेश या उपयुक्त सरकारी प्राधिकरण द्वारा नोटिस प्राप्त होने पर तीसरे पक्ष की सामग्री को हटाने के लिए है। कोर्ट ने आगे कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा दायर शिकायत के अनुसार इंगित करता है कि याचिकाकर्ता-कंपनी ने विक्रेता के साथ शिकायतकर्ता की शिकायत उठाई। इस प्रकार, उसने आईटी अधिनियम की धारा 79 के अनुसार अपना कर्तव्य पूरा किया।
नतीजतन, याचिका की अनुमति दी गई और आक्षेपित एफआईआर और पुलिस रिपोर्ट खारिज कर दी गई।
केस टाइटल- फ्लिपकार्ट इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. और 3 अन्य [आपराधिक विविध. रिट याचिका नंबर- 3487/2019]
केस साइटेशन: लाइव लॉ (एबी) 467/2022
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