प्रॉपर्टी टैक्स के आंकलन के लिए वकीलों के ऑफिसों को 'कॉमर्शियल प्रॉपर्टी' में वर्गीकृत किये जाने के खिलाफ डीएचसीबीए की याचिका पर नोटिस जारी
दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रॉपर्टी टैक्स के आंकलन के लिए वकीलों के कार्यालयों को कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में वर्गीकृत किये जाने को चुनौती देने वाली दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की याचिका पर नोटिस जारी किया है।
न्यायमूर्ति डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जलान की खंडपीठ ने दिल्ली के सभी नगर निगमों को नोटिस जारी किये हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिशएन (डीएचसीबीए) ने अपने अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर के जरिये दायर मौजूदा याचिका में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की ओर से 29 नवम्बर 2018 को जारी आंकलन आदेश और उसके बाद दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) अधिनियम की धाराएं 123 ए और 123 बी के तहत वकीलों के कार्यालयों को प्रॉपर्टी टैक्स रिटर्न के स्व-आकलन के लिए नोटिस जारी किये जाने को चुनौती दी है।
इस मामले में यह दलील दी गयी कि डीएचसीबीए परिसर का इस्तेमाल न्याय दिलाने में कोर्ट के सहयोग के लिए किया जाता है, इसलिए वकीलों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे इस तरह के परिसरों को कॉमर्शियल गतिविधियों वाली प्रॉपर्टी में वर्गीकृत किये जाने के दूरगामी परिणाम होंगे।
याचिका में कहा गया है कि वकीलों के परिसरों का इस्तेमाल पेशागत गतिविधियों के लिए किया जाता है, न कि व्यावसायिक गतिविधियों के लिए। अपनी इस दलील के लिए याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों का याचिका में उल्लेख किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि वकीलों द्वारा इस्तेमाल परिसरों पर गैर- आवासीय दर नहीं लगायी जानी चाहिए।