मस्जिद परिसर से मलबा हटाने में ज्ञानवापी संरचना को किसी भी तरह के नुकसान की कोई संभावना नहीं: वाराणसी कोर्ट में एएसआई ने कहा
वाराणसी की अदालत में जिला न्यायाधीश को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने यह आश्वासन दिया कि मस्जिद परिसर से मलबा और कचरा साफ करते समय ज्ञानवापी मस्जिद संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।
एएसआई ने अदालत को यह भी बताया कि चूंकि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में और उसके आसपास पत्थर के स्लैब के रूप में कचरा, मलबा और गिरी हुई सामग्री जमा हो गई है। इसलिए कचरे को साफ करना अपरिहार्य हो गया है, जिससे परिसर की उचित वैज्ञानिक जांच हो सके।
एएसआई के वकील ने अदालत के समक्ष मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण पूरा करने के लिए 8 सप्ताह का और समय मांगते हुए कहा,
"अदालत ने निर्देश दिया है कि तहखानों का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए और इसलिए यह आवश्यक है कि वहां जमा हुई मिट्टी और मलबे को हटा दिया जाए। इस दौरान खड़ी आकृति को कोई नुकसान न हो। मलबे को बहुत सावधानी से हटाया जा रहा है और ठीक से काम करने में समय लगने की संभावना है।''
यह आश्वासन अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधक) द्वारा यह आशंका व्यक्त करने के कुछ दिनों बाद दिया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार की पश्चिमी बैरिकेडिंग के अंदर मौजूद मलबे या मिट्टी को हटाने और मलबे को दूसरी जगह लाकर इकट्ठा किय जाने से मस्जिद की इमारत को खतरा हो सकता है और इसके कारण वह ढह सकती है।
उल्लेखनीय है कि एएसआई वर्तमान में वाराणसी जिला न्यायाधीश के 21 जुलाई के आदेश के अनुसार वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रहा है, जिससे यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है या नहीं। एएसआई करीब 30 दिन पहले ही परिसर का सर्वेक्षण कर चुका है।
एएसआई की दलीलों पर ध्यान देते हुए अदालत ने उसे ज्ञानवापी सर्वेक्षण से संबंधित अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का और समय दिया। इससे पहले कोर्ट ने 2 सितंबर तक अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने को कहा था। हालांकि, एएसआई ने पिछले हफ्ते पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 8 सप्ताह का और समय मांगा था।
पिछले सप्ताह एएसआई द्वारा दिए गए आवेदन में कहा गया कि एएसआई को रिपोर्ट सौंपने में कुछ और समय लगेगा, क्योंकि कचरा, गीली मिट्टी और निर्माण सामग्री सहित बहुत सारा कचरा/मलबा फर्श के स्तर पर डंप किया जाता है। तहखाने के साथ-साथ संरचना के चारों ओर संरचना की मूल विशेषताओं को कवर किया गया है। इसलिए एएसआई को इसे साफ़ करने में समय लग रहा है।
उस आवेदन पर आदेश पारित करते हुए वाराणसी कोर्ट ने एएसआई द्वारा उसके समक्ष की गई निम्नलिखित दलीलें दर्ज कीं:
1. (मस्जिद परिसर में और उसके आसपास एकत्र) मलबे को बहुत सावधानी से और ठीक से हटाया जा रहा है। इसमें समय लगने की संभावना है। इसके बाद ही तहखानों के फर्श को साफ किया जाएगा और इस न्यायालय के निर्देशानुसार सर्वेक्षण की कार्यवाही आगे बढ़ाई जा सकेगी।
2. संबंधित संपत्ति का पूरा परिसर, तहखाने और खुली जगहें कचरे और मलबे से ढकी हुई हैं। इसमें कचरा, अनुपयोगी सामग्री, गीली मिट्टी और निर्माण सामग्री जैसे ईंटें, ढीले पत्थर के स्लैब और उनके टुकड़े, गिरी हुई सामग्री आदि शामिल हैं। ये सभी चीजें विस्तृत अध्ययन एवं सर्वेक्षण कार्य में बाधा उत्पन्न करती हैं।
3. एएसआई यह सुनिश्चित कर रहा है कि किसी भी संरचना को कोई नुकसान न हो और वह न्यायालय के निर्देशों के अनुसार वैज्ञानिक जांच और सर्वेक्षण कर रहा है। हर वह आवश्यक कदम उठा रहा है, जिससे अदालतों के निर्देशों का अनुपालन किया जा सके।
4. न्यायालय के आदेश के अनुपालन में अध्ययन एवं सर्वेक्षण करने के लिए मलबा एवं कूड़ा-कचरा हटाना एवं स्थान की सफाई करना आवश्यक है। कूड़ा-कचरा और मलबा इकट्ठा करने का यह काम बहुत धीमी गति से और सही तरीके से किया जा रहा है।
5. एएसआई ने मलबा और कचरा हटाने के लिए खुदाई मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया है। सारा कूड़ा-कचरा हाथ से ही इकट्ठा किया जा रहा है और हाथ से ही हटाया भी जा रहा है। छोटे घरेलू और उद्यान उपकरण जैसे कांटा ट्रॉवेल, पैन, ब्रश आदि का उपयोग किया जा रहा है, जो आम तौर पर घरेलू कचरे को इकट्ठा करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
6. कचरा और मलबा मूल संरचना से दूर एकत्र किया जा रहा है। इसलिए संबंधित संरचना को किसी भी तरह के नुकसान की कोई संभावना नहीं है।
संबंधित समाचार में वाराणसी जिला न्यायालय ज्ञानवापी मस्जिद परिसर से संबंधित विभिन्न राहतों की मांग करने वाली उसके समक्ष दायर तीन याचिकाओं पर 13 सितंबर को आदेश सुनाने के लिए तैयार है, जहां एएसआई वर्तमान में अदालत द्वारा आदेशित वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रहा है।