किसी व्यक्ति को किसी स्थान विशेष पर पदस्थापन का निहित अधिकार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को किसी विशेष स्थान पर नियुक्त होने का निहित अधिकार नहीं है। अदालत ने आगे कहा कि एक भर्ती के दूसरे ज़िला में ट्रांसफर के अनुरोध को स्वीकार करने से चेन रिएक्शन हो सकता है और कई बार काफी प्रशासनिक कठिनाइयां हो सकती हैं।
चीफ जस्टिस अकील कुरैशी और जस्टिस मदन गोपाल व्यास ने आदेश दिया,
"भर्ती के समय विशेष जिले, संभाग या अंचल में नियुक्ति या आमेलन का प्रश्न अनिवार्य रूप से चयनित उम्मीदवार की सुविधा के लिए है, लेकिन यह हमेशा प्रशासनिक अत्यावश्यकताओं के अधीन है। किसी व्यक्ति को किसी विशेष स्थान पर नियुक्त होने का निहित अधिकार नहीं है।"
यह घटनाक्रम पीटीआई ग्रेड- III भर्ती द्वारा दायर एक रिट अपील में हुआ। उक्त याचिका में झुंझुनू के बजाय अलवर में पोस्टिंग की मांग की गई।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि अलवर जिले में कम मेधावी लोगों को पोस्ट किया गया है, जबकि उसे झुंझुनू भेजा गया। एकल न्यायाधीश ने इससे पहले इस संबंध की रिट याचिका खारिज कर दी थी।
अदालत ने कहा कि चयन और भर्तियां अंतिम रूप से होनी चाहिए। इसमें कहा गया कि इस तरह के चयन और भर्ती के परिणामस्वरूप होने वाले पोस्टिंग ऑर्डर को भी उचित समय के बाद उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
निर्मला जाट बनाम राजस्थान राज्य [एस.बी. सिविल रिट याचिका संख्या 5753/2020] का संदर्भ दिया गया। इमें शिक्षकों की वरिष्ठता को संभाग वार माना गया था।
अदालत ने पाया कि पीटीआई ग्रेड- III के पद के लिए कैडर को जिलेवार बनाए रखा जाता है। अदालत ने यह भी नोट किया कि एकल न्यायाधीश की राय थी कि निर्मला जाट (सुप्रा) के मामले में न्यायालय की टिप्पणियों और निर्देशों को वर्तमान मामले में अपनाने के लिए उपयुक्त रूप से संशोधित किया जाना चाहिए। इस प्रकार, याचिकाकर्ता के पास दूसरे ज़िला में ट्रांसफर का विकल्प नहीं है और प्राधिकरण का दिनांक 12.10.2021 का संचार दूसरे ज़िला में ट्रांसफर के लिए इस तरह के किसी भी प्रतिनिधित्व को स्वीकार नहीं करना सही था।
बेंच ने आगे कहा,
"इस आदेश में कुछ भी नहीं कहा गया। अगर सरकार के नियम और कानून ऐसी किसी भी नीति को मान्यता देते हैं तो याचिकाकर्ता के दूसरे ज़िला में ट्रांसफर की मांग करने वाले एकल न्यायाधीश के रास्ते में नहीं आएगा। उक्त परिस्थितियों में अपील खारिज की जाती है।"
तथ्य
याचिकाकर्ता को पीटीआई ग्रेड- II के पद के लिए चुना गया और झुंझुनू जिले में नियुक्त किया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि मुकदमेबाजी और परिणामी न्यायालय के आदेशों के कारण चयन सूची में फेरबदल किया गया। इसके बाद राज्य सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया।
सर्कुलर में निर्दिष्ट किया गया कि केवल वे उम्मीदवार, जिन्हें फेरबदल के कारण चयन सूची में शामिल किया जा रहा है, उन्हें उपयुक्त जिले के आवंटन के लिए काउंसलिंग के लिए बुलाया जाएगा। पहले से नियुक्त पीटीआई के लिए यह काउंसलिंग जरूरी नहीं होगी। इससे परेशान कुछ व्यक्तियों ने सिविल रिट याचिका नंबर 7730/2021 दायर की। एकल न्यायाधीश ने दिनांक 10.08.2021 को उक्त याचिका का निपटारा कर दिया। इससे उन याचिकाकर्ताओं को प्राधिकारियों के समक्ष अभ्यावेदन करने की अनुमति मिल गई।
इसके बाद अधिकारियों ने निर्णय लिया कि जिन अभ्यावेदनों में जिले के भीतर नियुक्त करने के लिए अनुरोध किया जाता है, उन पर विचार किया जा सकता है। हालांकि, दूसरे ज़िला में ट्रांसफर के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता ने वर्तमान अपील में उक्त निर्णय को चुनौती दी।
अपीलार्थी की ओर से विक्रम सिंह भाटी उपस्थित हुए।
केस शीर्षक: सोनिया बर्दक बनाम राजस्थान राज्य
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (राज) 71
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