'कोई गंभीर परिस्थिति नहीं': गुरुग्राम कोर्ट ने कथित तौर पर समय से पहले पैदा हुए 28 दिन के शिशु की स्तनपान कराने वाली मां को जमानत देने से इनकार किया
गुरुग्राम कोर्ट ने बुधवार को एक 28 दिन के शिशु की स्तनपान कराने वाली मां को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप संगीन और गंभीर प्रकृति के हैं। कोर्ट के समक्ष तर्क दिया गया था कि आरोपी को जमानत देना महत्वपूर्ण है क्योंकि उसने प्री-मैच्योर शिशु को जन्म दिया है, जिसे महत्वपूर्ण चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने कहा कि इस तर्क के समर्थन में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया है कि मां या बच्चे को कोई चिकित्सीय समस्या है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी भी प्रकार की चिकित्सीय आवश्यकता होेगी तो जेल में चिकित्सा अधिकारी उपचार के लिए उपलब्ध रहता है और जेल परिसर में ही शिशु के टीकाकरण की व्यवस्था की जा सकती है।
कोर्ट ने कहा कि
''आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजों से पता चलता है कि गर्भावस्था के 37 सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद ही बच्चे का जन्म हुआ है, जिसे प्री-मैच्योर बच्चा नहीं कहा जा सकता । इसके अलावा, किसी भी तरह की मेडिकल केयर की आवश्यकता होने पर जेल में चिकित्सा अधिकारी इलाज के लिए उपलब्ध होते हैं। इसलिए, इस स्थिति के आधार पर आवेदक/अभियुक्त को जमानत नहीं दी जा सकती है। साथ ही जहां तक शिशु के टीकाकरण की बात है तो जेल में भी इसकी व्यवस्था की जा सकती है।''
इस मामले में आरोपी एक बैंक में शाखा प्रबंधक के पद पर कार्यरत थी, जहां कथित तौर पर सरकार की ओर से फर्जी खाता खोला गया था। मामले के मुख्य आरोपी प्रवीण यादव ने एक्सिस बैंक में एक सरकारी बैंक खाता खोला था, जहां आरोपी बैंक मैनेजर थी।
नियमित जमानत को खारिज करते हुए कोर्ट ने आगे कहा कि,
''ऐसी कोई गंभीर परिस्थिति नहीं बताई गई है जिसके आधार पर आरोपी को जमानत दे दी जाए...आरोपी के खिलाफ आरोप गंभीर और संगीन प्रकृति के हैं। इसके अलावा, आरोपी एक शिक्षित महिला है और उस बैंक में शाखा प्रबंधक के रूप में कार्यरत थी, जहां सरकार के नाम से फर्जी खाता खोला गया था। इसके अलावा वह मेसर्स कोशिया एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी में निदेशक और अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता भी थी। इसलिए मुख्य आरोपी प्रवीण यादव के साथ अपराध में उनके शामिल होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए , यह अदालत उसे जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है और इस जमानत आवेदन को खारिज किया जाता है।''
अदालत ने इस मामले में संबंधित जेल अधिकारियों को निर्देश दिया है कि आरोपी को पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराया जाए क्योंकि वह एक स्तनपान कराने वाली मां है। जेल अधिकारियों को जेल नियमावली के प्रावधानों के अनुसार शिशु के उचित टीकाकरण की व्यवस्था करने का भी आदेश दिया गया है।
दलीलें
कार्यवाही के दौरान आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि आरोपी को तत्काल आपराधिक मामले में झूठा फंसाया गया है और शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज विभिन्न प्राथमिकियों में दुर्भावनापूर्ण रूप से उसे आरोपी बनाया गया है। आगे यह भी प्रस्तुत किया गया कि आरोपी एक नई मां है जिसने कुछ दिन पहले ही एक बच्चे को जन्म दिया है, जो गंभीर चिकित्सा स्थिति के कारण समय से पहले पैदा हो गया है और उसे चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है।
अदालत को आगे बताया गया कि आरोपी स्पष्ट रूप प्री-मैच्योर शिशु के दैनिक रखरखाव, देखभाल और भोजन के लिए जिम्मेदार है और इस तरह उसे हिरासत में रखना न्याय के हित में नहीं होगा। यह भी कहा गया कि जमानत देने से इनकार करना, उसके शिशु के डिटेंशन के समान होगा। तद्नुसार, यह तर्क दिया गया कि जमानत देना बहुत महत्वपूर्ण है और इस मामले में आरोपी की कोई भूमिका नहीं बताई गई है।
दूसरी ओर, राज्य के वकील और शिकायतकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और अपराध करने में उसकी सक्रिय भूमिका है। आगे यह तर्क दिया गया कि वह एक शिक्षित महिला है और उस शाखा में एक शाखा प्रबंधक थी, जहां सरकार के नाम पर फर्जी खाते कथित रूप से खोले गए थे।
आगे यह भी तर्क दिया गया कि आरोपी एक कंपनी मेसर्स कोशिया एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक है, जो कथित अपराध करने के लिए बनाई गई थी। अदालत को आगे यह भी बताया गया कि आरोपी मुख्य आरोपी प्रवीण यादव के परिवार की सदस्य है और उसे अपराध में अर्जित की गई राशि में उसका हिस्सा मिला है।
आरोपी की ओर से अधिवक्ता निपुण सक्सेना और अजय यादव पेश हुए।
केस का शीर्षक-ऋतुराज यादव बनाम हरियाणा राज्य
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