"अंतरिम आदेशों के विस्तार की आवश्यकता नहीं": इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2022-02-26 05:30 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत सहित अपने और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष लंबित सभी मामलों में अंतरिम आदेशों के विस्तार के लिए दर्ज स्वत: संज्ञान याचिका के संबंध में अपनी याचिका का निपटारा किया।

चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने आदेश दिया कि यह नोट किया गया कि COVID-19 महामारी की स्थिति में सुधार हुआ है। अब दैनिक जीवन के सामान्य कार्य किए जा रहे हैं और न्यायालय फिजिकल रूप से काम कर रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि यूपी राज्य की विभिन्न एजेंसियों के आंकड़ों के अनुसार स्थिति में सुधार हुआ है।

कोर्ट ने 10 जनवरी, 2022 के आदेश के तहत स्वत: संज्ञान रिट याचिका (सी) नंबर तीन ऑफ 2020 (इन रे: कॉग्निजेंस फॉर एक्सटेंशन ऑफ लिमिटेशन) में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी ध्यान दिया। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने केवल 28.02.2022 तक सीमा की अवधि बढ़ा दी थी।

ऊपर बताए गए तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा कि आदेश दिनांक 11.01.2022 के तहत दिए गए लाभों को संशोधित करने या आगे बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह 28.02.2022 तक है।

कोर्ट ने हालांकि स्पष्ट किया कि अगर भविष्य में ऐसी स्थिति पैदा होती है तो उस पर विचार किया जाएगा। इसके साथ ही आवेदनों का निस्तारण कर दिया गया।

उल्लेखनीय है कि 11 जनवरी, 2022 को वर्ष 2020 में दर्ज एक स्वत: संज्ञान मामले को बहाल करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट और उसके अधीनस्थ अदालतों द्वारा पारित सभी अंतरिम आदेशों को राज्य में बढ़ते COVID-19 महामारी के प्रकोप को देखते हुए फरवरी 28, 2022 तक बढ़ा दिया था।

केस का शीर्षक - रे वि. स्टेट ऑफ यू.पी.

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