BREAKING | दिवाली पर NCR में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध में ढील, सुप्रीम कोर्ट ने दी ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (15 अक्टूबर) को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पटाखों के उपयोग पर लगे पूर्ण प्रतिबंध में ढील देते हुए दिवाली के त्योहार पर कुछ शर्तों के साथ **हरे पटाखों (Green Crackers)** के उपयोग की अनुमति दी है।
मुख्य प्रावधान
* हरे पटाखों की बिक्री 15 अक्टूबर से 21 अक्टूबर 2025 तक की जा सकेगी।
* बिक्री केवल निर्धारित स्थानों पर ही की जा सकती है।
* पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए पेट्रोलिंग टीमें गठित करनी होंगी कि केवल QR Code वाले अनुमोदित पटाखे ही बेचे जाएं।
* ई-कॉमर्स वेबसाइट्स (जैसे फ्लिपकार्ट, अमेज़न आदि) पर पटाखों की ऑनलाइन बिक्री प्रतिबंधित रहेगी।
* पटाखों का उपयोग केवल दिवाली से एक दिन पहले और दिवाली के दिन, सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे के बीच किया जा सकेगा।
* **केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)** और **राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB)** 18 अक्टूबर से वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की निगरानी करेंगे और कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करेंगे।
यह आदेश चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने एम.सी. मेहता बनाम यूनियन ऑफ इंडिय मामले में पारित किया। इससे पहले 3 अप्रैल को कोर्ट ने एनसीआर में पूरे साल के लिए पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था, जिसमें हरे पटाखे भी शामिल थे। बाद में इस आदेश की पुनर्विचार याचिकाएँ दाखिल की गई थीं।
सुनवाई के दौरान सीजेआई गवई ने यह भी कहा था कि दिवाली के समय के लिए प्रतिबंध में अस्थायी छूट दी जा सकती है — “फिलहाल हम दिवाली के दौरान ही प्रतिबंध हटाने की अनुमति देंगे।”
राज्यों के सुझाव
केंद्र और एनसीआर के राज्यों (दिल्ली, हरियाणा) ने निम्नलिखित सुझाव दिए:
1. केवल नीरी (NEERI) द्वारा अनुमोदित हरे पटाखों की अनुमति हो।
2. लड़ियों (Joint Crackers, Lardis) का निर्माण, बिक्री और उपयोग पूर्णतः प्रतिबंधित रहे।
3. बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त विक्रेताओं द्वारा की जाए।
4. किसी भी ई-कॉमर्स साइट पर ऑनलाइन बिक्री नहीं होगी।
5. पटाखे फोड़ने की समय-सीमा — दिवाली पर 8 से 10 बजे रात तक, क्रिसमस और न्यू ईयर पर रात 11:55 से 12:30 बजे तक, और गुरु पर्व पर सुबह 4-5 बजे व रात 9-10 बजे तक।
6. सभी हरे पटाखों पर क्यूआर कोड होना अनिवार्य होगा।
7. अनधिकृत निर्माण पर सख्त कार्रवाई — लाइसेंस निलंबन और निर्माण स्थल की तत्काल सीलिंग।
8. पीईएसओ, नीरी, जीएनसीटीडी और राज्य पीसीबी** द्वारा नियमित निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया जाए कि पटाखों में बैरियम, लिथियम, आर्सेनिक, एंटिमनी, लेड या मरकरी जैसे प्रतिबंधित रसायन न हों।
सीजेआई ने यह भी उल्लेख किया कि देश के कुछ हिस्सों में नरक चतुर्दशी के दिन सुबह दिवाली मनाई जाती है, इसलिए उस पर भी विचार किया जाएगा।
फर्जी “ग्रीन पटाखों” पर चिंता
अमाइकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने चिंता जताई कि बाजार में नकली ग्रीन पटाखे मिल रहे हैं, जिनमें अभी भी प्रदूषक रसायन मौजूद हैं।
जस्टिस चंद्रन ने सुझाव दिया कि पुलिस और पीईएसओ द्वारा रैंडम सैंपलिंग और जांच की जाए।
सीजेआई ने यह भी कहा कि कोर्ट 2018 के 'अर्जुन गोपाल बनाम भारत संघ' फैसले की समीक्षा पर विचार करेगा, ताकि नई परिस्थितियों के अनुरूप संशोधन किए जा सकें।
2018 के फैसले में कोर्ट ने पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार करते हुए केवल कम प्रदूषण वाले हरे पटाखों की बिक्री की अनुमति दी थी, वह भी लाइसेंस प्राप्त विक्रेताओं के माध्यम से।
वायु गुणवत्ता पर चिंता
सीजेआई ने पूछा कि 2018 से अब तक वायु गुणवत्ता में कोई सुधार हुआ है या नहीं। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि कोविड अवधि को छोड़कर ए.क्यू.आई. में कोई खास सुधार नहीं हुआ है।
निर्माता पक्ष की दलील
सीनियर एडवोकेट के. परमेेश्वर ने निर्माताओं की ओर से कहा कि उन्हें नियंत्रित मात्रा में ग्रीन पटाखों का निर्माण करने की अनुमति दी जाए और उनकी ऑनलाइन निगरानी की जा सकती है।
निर्माताओं का कहना था कि 3 अप्रैल का आदेश 2018 के अर्जुन गोपाल फैसले के विपरीत है, क्योंकि उसमें केवल सर्दियों के मौसम में प्रतिबंध की बात कही गई थी, पूरे साल की नहीं।
इस मामले में सीनियर एडवोकेट जे. साई दीपक, गोपाल शंकरनारायणन और एडिसनल सालिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी भी पेश हुए।