बेंगलुरु दंगों 2020 के मामले में तीन ने दोषी करार दिया, NIA कोर्ट ने उन्हें 7 साल की कैद की सजा सुनाई

Update: 2025-07-25 06:28 GMT

NIA स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को 2020 के बेंगलुरु दंगों के मामले में शामिल तीन आरोपियों को दोषी करार देते हुए सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।

दोषी ठहराए गए आरोपियों में सैयद इकरामुद्दीन उर्फ सैयद नवीद (44), सैयद आसिफ (46) और मोहम्मद आतिफ (26) शामिल हैं, जिन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 15, 16, 18 और 20 के तहत आरोप लगाए गए। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं 143, 147, 148, 353, 333, 332, 436, 427 और 149 तथा कर्नाटक सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984 की धारा 4 भी लगाई थी।

पुलिस के अनुसार 11 अगस्त को लगभग 300 लोगों की भीड़ डी.जे. हल्ली पुलिस स्टेशन के पास एकत्रित हुई और पी. नवीन नामक व्यक्ति द्वारा अपने फेसबुक पेज पर पैगंबर मोहम्मद पर कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी किए जाने का विरोध किया। फिरदौस पाशा नामक व्यक्ति द्वारा दर्ज कराई गई

शिकायत के आधार पर IPC की धारा 295-ए और 153 के तहत FIR दर्ज की गई।

FIR दर्ज होने और भीड़ को शांत करने के पुलिस के भरसक प्रयासों के बावजूद पुलिस स्टेशन के बाहर जमा भीड़ तितर-बितर होने से इनकार करती रही और उसकी संख्या बढ़ती ही गई।

इसके बाद वे पुलकेशी नगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के आवास के बाहर इकट्ठा हुए और उनके घर व संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया।

इसके बाद आस-पास के इलाकों से बड़ी संख्या में उपद्रवी भीड़ में शामिल हो गए और उन्होंने पुलिस वाहनों में आग लगा दी और डी.जे. हल्ली तथा के.जी. हल्ली पुलिस थानों के पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया। उन्होंने पुलिस की इमारतों पर पत्थर फेंके और उन पर घातक हथियारों से हमला किया। बाद में भीड़ ने आगजनी की और डी.जे. हल्ली पुलिस थाने की इमारत के बेसमेंट में आग लगा दी और थाना परिसर में स्थित सरकारी संपत्तियों को नष्ट कर दिया।

हिंसा में 80 से ज़्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए। भीड़ ने निजी वाहनों और संपत्तियों को भी जला दिया निजी और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की इमारतों को भारी नुकसान पहुंचाया और लूटपाट भी की।

अब तक कुल 64 आपराधिक मामले दर्ज किए गए और जांच जारी है।

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