न्यूज रिपोर्ट का दावा है कि मंदिर में भक्तों को उनके पापों के प्रायश्चित के लिए 12 ब्राह्मणों के पैर धोने के लिए मजबूर किया गया: केरल हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया
केरल हाईकोर्ट ने एक न्यूज रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया जिसमें आरोप लगाया गया है कि त्रिपुनिथुरा के श्री पूर्णाथ्रीसा मंदिर में भक्तों को उनके पापों के प्रायश्चित के लिए 12 ब्राह्मणों के पैर धोने के लिए मजबूर किया गया।
न्यायमूर्ति अनिल के. नरेंद्रन और न्यायमूर्ति पी.जी. अजितकुमार ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की शुरुआत की।
यह घटना तब सामने आई जब एक मलयालम दैनिक केरल कौमुदी ने 4 फरवरी को एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें कहा गया था कि मंदिरों में 'पंथरंडु नमस्कारम' के हिस्से के रूप में इस तरह की प्रथा का पालन किया जा रहा है।
जब इस मामले को उठाया गया, तो कोचीन देववसम बोर्ड के सरकारी वकील, जिसके तहत मंदिर संचालित होता है, ने दावों का खंडन किया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि अनुष्ठान के हिस्से के रूप में 12 ब्राह्मणों के पैर धोने का काम भक्तों ने नहीं बल्कि थंर्ति की थी।
कोर्ट ने बोर्ड को दो सप्ताह के भीतर इस मामले में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और इसे 25 फरवरी को अगली सुनवाई के लिए पोस्ट किया।