[निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट] मामले के निपटारे में देरी धारा 143A के तहत अंतरिम मुआवजा देने का आधार नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2022-08-17 10:31 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने कहा है कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (NIAct) की धारा 138 के तहत दायर मामले के निपटारे में देरी अधिनियम की धारा 143 ए के तहत अंतरिम मुआवजा देने का आधार नहीं हो सकता है।

जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने पद्मनाभ टीजी द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया और दिनांक 09.11.2021 के आदेश को रद्द कर दिया जिसमें याचिकाकर्ता को चेक राशि का 10 प्रतिशत भुगतान करने का निर्देश दिया गया और मामले को फिर से आदेश पारित करने के लिए मजिस्ट्रेट अदालत को वापस भेज दिया गया।

खंडपीठ ने सीआरएल.पी.सं. 632/2022 में हाईकोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा,

"इस अदालत ने उपरोक्त आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि आरोपी का आचरण धारा के तहत अंतरिम मुआवजा देने के लिए प्रेरक शक्ति होगा। संशोधन अधिनियम के 143ए और ऐसे कारणों को आदेश में दर्ज किया जाना चाहिए, तो ऐसा आदेश दिमाग के आवेदन वाला आदेश बन जाएगा।"

इसमें कहा गया है,

"यदि मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश को इस कोर्ट द्वारा पारित आदेश के आलोक में माना जाता है, तो यह निस्संदेह संशोधन अधिनियम की धारा 143ए का उल्लंघन होगा। जैसा कि आक्षेपित आदेश में दिया गया एकमात्र कारण यह है कि मामले के निपटारे में काफी समय लगेगा। मुआवजा देने के कारण आरोपी के आचरण का भी उल्लेख नहीं है।"

तद्नुसार कोर्ट ने कहा,

"उपरोक्त तथ्यों और इस प्रकार दिए गए निर्णय के आलोक में, मजिस्ट्रेट को संशोधन अधिनियम के 143ए के तहत शिकायतकर्ता द्वारा दायर आवेदन पर पुनर्विचार करने और कानून के अनुसार उचित आदेश पारित करने की आवश्यकता है।"

केस टाइटल: पद्मनाभ टी जी वी. मैसर्स रेडिकल वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड

केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ 322

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