नवाब मलिक ने समीर वानखेडे के परिवार के खिलाफ बयान न देने के अपने अंडरटैकिंग को भंग करने पर बॉम्बे हाईकोर्ट से माफी मांगी

Update: 2021-12-10 11:01 GMT

महाराष्ट्र के राज्य मंत्री और राकांपा नेता नवाब मलिक ने शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी, क्योंकि उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक अंडरटैकिंग दिया था कि वह एनसीबी अधिकारी समीर वानखेडे और उनके परिवार के खिलाफ किसी तरह की टिप्पणी करने से परहेज करेंगे। इसके बावजूद नवाब मलिक ने टिप्पणी की, जिसके लिए उन्होंने आज बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष खेद व्यक्त किया।

जस्टिस एसजे कथावाला और जस्टिस मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने एनसीबी अधिकारी के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में माफी स्वीकार कर ली।

पीठ ने मलिक द्वारा वानखेड़े पर एक शर्त के साथ टिप्पणी नहीं करने के बारे में एक नया अंडरटैकिंग दर्ज किया कि जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें केंद्रीय एजेंसी के राजनीतिक दुरुपयोग के खिलाफ बोलने से नहीं रोका जाएगा।

बयान में कहा गया कि

"हालांकि मुझे विश्वास है कि मुझे केंद्रीय एजेंसियों के राजनीतिक दुरुपयोग और उनके अधिकारियों के आधिकारिक कर्तव्यों के दौरान उनके आचरण पर टिप्पणी करने से नहीं रोका जाएगा।"

मलिक का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनॉय ने किया जबकि ज्ञानदेव वानखेड़े का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने किया।

पीठ ने मंगलवार को कहा था कि राज्य के कैबिनेट मंत्री मलिक ने अदालत में अपने अंडरटैकिंग को "जानबूझकर भंग" किया। अदालत वानखेड़े द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मलिक के कुछ साक्षात्कारों को अदालत के संज्ञान में लाया गया था।

खंडपीठ को शुक्रवार को दिए गए हलफनामे में मलिक ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनके पहले के अंडरटैकिंग में एक साक्षात्कार में उनसे पूछे गए सवालों के जवाब शामिल होंगे।

उन्होंने अपने अंडरटैकिंग में कहा,

"मैं कहता हूं कि इसके बाद भी अगर मीडिया द्वारा अपीलकर्ता या अपीलकर्ता के परिवार के सदस्यों के संबंध में मुझसे कोई और सवाल किया जाता है तो मैं उसका जवाब नहीं दूंगा या उस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।"

वानखेड़े के आवेदन का निपटारा कर दिया गया।

ज्ञानदेव ने मुकदमा दायर कर उन्हें और उनके परिवार को बदनाम करने के लिए 1.25 करोड़ का हर्जाना भरने की मांग की थी और मलिक या उनकी ओर से काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को उनके खिलाफ "अपमानजनक" पोस्ट करने से रोकने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

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