मुजफ्फरनगर दंगा मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोग्य ठहराए गए भाजपा विधायक विक्रम सैनी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज की

Update: 2022-11-24 03:57 GMT

भाजपा विधायक विक्रम सैनी

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अयोग्य ठहराए गए भाजपा विधायक विक्रम सैनी (Vikram Saini) की 2013 के मुजफ्फर नगर दंगों (Muzaffarnagar Riots Case) के मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज की।

सैनी ने यूपी की खतौली विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया और 2017 में पहली बार विधायक चुने गए।

जस्टिस समित गोपाल की पीठ ने यह कहते हुए उनके आवेदन को खारिज कर दिया कि केवल यह दलील देना कि दोषसिद्धि के कारण सैनी अधिनियम, 1951 के अनुसार अयोग्य हो जाएंगे, दोषसिद्धि को निलंबित करने का कोई आधार नहीं है।

गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की एक विशेष अदालत ने 11 अक्टूबर को सैनी और 10 अन्य को आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा), 336 (जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कार्य), धारा 353 ( लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए 353 हमला या आपराधिक बल), धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दो साल की जेल की सजा सुनाई थी।

अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए, सैनी ने एक आपराधिक अपील दायर की है जिसे स्वीकार कर लिया गया है और उसकी सजा पहले ही निलंबित की जा चुकी है। हालांकि, कल दोषसिद्धि के निलंबन के उनके आवेदन को यह देखते हुए खारिज कर दिया गया कि जिन आरोपों के तहत सैनी को उनके द्वारा किए गए कृत्यों के लिए दोषी ठहराया गया था, उन्होंने कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा की थी और नागरिकों की शांति को भंग किया था।

अदालत ने कहा,

"भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाले ऐसे अपराध हैं जो एक स्वस्थ लोकतंत्र के मूल मूल्यों को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं- राज्य की सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता, राष्ट्रीय सुरक्षा, और नागरिकों के बीच शांति और सद्भाव की व्यापकता और निरंतरता और कई अन्य। अपात्रता के परिणामस्वरूप होने वाली आपराधिक गतिविधियां राष्ट्र के हित, सामान्य नागरिक हित, सांप्रदायिक सद्भाव और सुशासन के प्रसार से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित हैं। केवल यह दलील देकर कि दोषसिद्धि से अधिनियम, 1951 के तहत अपीलकर्ता अयोग्य हो गया है, सजा को निलंबित करने का आधार नहीं है।"

न्यायालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि कानून अच्छी तरह से स्थापित है कि दोषसिद्धि के निलंबन की शक्तियों का प्रयोग दुर्लभ मामलों में ही किया जाना चाहिए। इस संबंध में, पीठ ने नवजोत सिंह सिद्धू बनाम पंजाब राज्य और अन्य (2007) 2 एससीसी 574 और लोक प्रहरी बनाम भारत निर्वाचन आयोग: (2018) 18 एससीसी 114 के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लेख किया।

सैनी को आरपीए की धारा 8 के अनुसार अयोग्य घोषित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि यदि किसी विधायक को दो साल या उससे अधिक की कैद की सजा सुनाई जाती है, तो उसे इस तरह की सजा की तारीख से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और आगे उसकी रिहाई के छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता है।

केस टाइटल - विक्रम सिंह सैनी @ विकार सैनी बनाम यूपी राज्य [आपराधिक अपील संख्या - 8461/2022]

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