रक्षाबंधन पर शिकायतकर्ता के घर जाएं और उनसे राखी बांधने का अनुरोध करें', मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जमानत देते समय रखी शर्त
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (इंदौर पीठ) ने गुरुवार (30 जुलाई) को एक व्यक्ति (स्त्री की लज्जा भंग करने के आरोपी) को जमानत पर रिहा करते हुए यह शर्त लगायी कि वह शिकायतकर्ता-महिला के घर जाए और उनसे राखी बांधने का अनुरोध करे और यह वादा करे कि वह आने वाले समय में अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता में उनकी रक्षा करेगा।
दरअसल, न्यायमूर्ति रोहित आर्य की पीठ एक मामले की सुनवाई कर रही थी जिसके तहत एक पड़ोसी के रूप में जमानत के आवेदनकर्ता/आरोपी ने शिकायतकर्ता-महिला के घर में प्रवेश किया था और शिकायतकर्ता का हाथ पकड़कर उनकी लज्जा भंग करने का प्रयास किया था (अभियोजन की कहानी के अनुसार)।
उल्लेखनीय रूप से, जमानत का आवेदनकर्ता/आरोपी, भारतीय दंड संहिता की धाराओं 452, 354-A, 354, 323 और 506 के तहत अपराध के लिए, पुलिस थाना भटपचलाना, जिला-उज्जैन में पंजीकृत अपराध नंबर 133/2020 के संबंध में 02/06/2020 के बाद से हिरासत में था।
जमानत के आवेदनकर्ता/आरोपी की प्रस्तुतियाँ
जमानत के आवेदनकर्ता/आरोपी के लिए पेश वकील ने अदालत में यह कहा कि वास्तव में, आवेदक ने शिकायतकर्ता के पति को बकाया ऋण राशि वापस करने के लिए कहा था, जो कि लॉकडाउन अवधि के दौरान आवेदक द्वारा उसे दिया गया था।
यह तर्क दिया गया था कि शिकायतकर्ता के पति ने ऐसा नहीं किया और पैसे की मांग के बदले में उसने वर्तमान आवेदक के खिलाफ तत्काल झूठा मामला दर्ज करा दिया।
इसके अलावा, आवेदक ने अदालत के समक्ष यह भी अनुरोध किया कि वह एक विवाहित व्यक्ति है और किसी महिला/शिकायतकर्ता की लज्जा भंग करने के लिए पड़ोसी के घर में प्रवेश करने के बारे में वह सोच नहीं सकता है।
यह तर्क दिया गया कि उसका परिवार, उसके जेल में होने के कारण भुखमरी के कगार पर है। इसके अलावा उसका जेल में कैद रहना, उसके परिवार के सदस्यों के जीवन को खतरे में डाल देगा।
न्यायालय का आदेश
पीठ ने अपने आदेश में इस तथ्य को स्वीकार किया कि आवेदक पहले ही दो महीने से अधिक समय तक जेल की सजा भुगत चुका है, और आगे उससे हिरासत में पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है, इसलिए, उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
एक अद्वितीय जमानत शर्त लगाते हुए, अदालत ने अपने आदेश में कहा,
"आवेदक (विक्रम) अपनी पत्नी के साथ शिकायतकर्ता के घर पर राखी के धागे/बैंड के साथ 03 अगस्त 2020 को सुबह 11:00 बजे मिठाई का डिब्बा लेकर जायेगा और शिकायतकर्ता से यह अनुरोध करेगा कि वह उसे राखी बांधें, इस वादे के साथ कि वह आने वाले समय में अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता में उनकी रक्षा करेगा।"
अदालत द्वारा यह भी निर्देशित किया गया कि आवेदक, शिकायतकर्ता को एक प्रथागत अनुष्ठान के रूप में 11,000 / - (ग्यारह हजार रुपये) देगा, जो आमतौर पर भाइयों द्वारा बहनों को ऐसे अवसर पर दिया जाता है और वह उनका आशीर्वाद भी लेगा।
इसके अलावा, आवेदक को शिकायतकर्ता के बेटे -विशाल को 'कपड़े और मिठाई की खरीद' के लिए रु. 5,000/- देने के लिए भी अदालत द्वारा कहा गया है।
इसके अतिरिक्त, आवेदक को शिकायतकर्ता और उसके बेटे को किए गए भुगतान की तस्वीरें और रसीदें प्राप्त करने का आदेश दिया गया है, और अदालत के आदेश के अनुसार "उसे रजिस्ट्री के समक्ष, इस मामले के रिकॉर्ड पर रखने के लिए वकील के माध्यम से दायर किया जाएगा।"
हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि उपरोक्त राशि को जमा करना, लंबित मुकदमे को प्रभावित नहीं करेगा, वह केवल जमानत पर आवेदक को रिहा करने के लिए है।
हाल ही के उल्लेखनीय जमानत आदेश
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच (न्यायमूर्ति शील नागू की पीठ) ने बीते मई में तमाम जमानत आवेदनों में इस शर्त पर जमानत दी थी कि याचिकाकर्ता को संबंधित जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष खुद को "COVID -19 वॉरियर्स" के रूप में पंजीकृत करना होगा। इसके पश्च्यात, उन्हें COVID -19 आपदा प्रबंधन का काम सौंपा जायेगा।
इसी प्रकार की शर्त पटना हाईकोर्ट ने जून महीने की शुरुआत में (1-4 जून 2020) 20 से अधिक जमानत आवेदन के मामलों में लगायी थी।
हाईकोर्ट ने आरोपियों को इस शर्त पर जमानत दी कि जमानत आवेदनकर्ता/आरोपी को एक/दो/तीन महीने की अवधि के लिए "स्वयंसेवक" (Volunteer) के रूप में (Covid -19 से मुकाबला करने के लिए) या COVID अस्पताल/जिला स्वास्थ्य केंद्र में "स्वयंसेवक" के रूप में अपनी सेवा प्रदान करनी होगी।
वहीँ, जून ही के महीने में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच (न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की पीठ) ने मंगलवार (30-जून-2020) को धारा 439 सीआरपीसी के अंतर्गत दाखिल जमानत आवेदन को स्वीकारते हुए आरोपियों/जमानत आवेदनकर्ताओं को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वे 5-5 लीटर अल्कोहलिक सैनिटाइजर और 200-200 अच्छे गुणवत्ता वाले मास्क जिला अस्पताल, धार के पैरा मेडिकल स्टाफ के उपयोग के लिए दान करेंगे।
इसके अलावा, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (न्यायमूर्ति शील नागू की पीठ) का एक और जमानत आदेश हाल ही में बहुत चर्चा में रहा था जहाँ आरोपियों को ज़मानत की पूर्व शर्त के रूप में स्थानीय ज़िला अस्पताल में दो एलईडी टीवी लगाने का निर्देश दिया, लेकिन साथ ही अदालत ने यह भी कहा था कि ये टीवी चीन में बने नहीं होने चाहिए।
वहीँ पिछले महीने, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने 02-जुलाई-2020 को लगभग डेढ़ दर्जन मामलों में जमानत आवेदन (धारा 438/439 सीआरपीसी के तहत दायर आवेदन) को स्वीकारते हुए आरोपियों/जमानत आवेदनकर्ताओं को इस शर्त पर जमानत दे दी थी कि वे शिक्षा स्वयंसेवक के रूप में अपने निवास के निकट स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय को शारीरिक और वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे।
न्यायमूर्ति शील नागू की पीठ ने इन तमाम मामलों में जमानत आवेदन को स्वीकारते हुए यह शर्त लगायी और यह रेखांकित किया कि इससे स्वच्छता और सफाई सुनिश्चित की जा सकेगी और याचिकाकर्ताओं के कौशल/संसाधनों से उक्त विद्यालय में अवसंरचनात्मक सुविधाओं की कमियों को दूर किया जा सकेगा।