मोटर दुर्घटना दावा - लापरवाह ड्रायवर का बयान चार्जशीट का हिस्सा नहीं बन सकता : गुजरात हाईकोर्ट

Update: 2022-03-19 07:53 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने माना है कि जब ड्रायवर की लापरवाही के कारण हुई मोटर दुर्घटना लिए एक ड्रायवर के खिलाफ कार्यवाही शुरू की जाती है तो उस ड्रायवर के बयान उसके खिलाफ दायर आरोप पत्र का हिस्सा नहीं हो सकते।

जस्टिस उमेश त्रिवेदी ने कहा,

" जिस वाहन ट्र्क से एक्सिडेंट हुआ, उसके ड्रायवर के खिलाफ दायर आरोप पत्र दायर होने पर उस पर अदालत में मुकदमा चलाया जाता है। यदि ड्रायवर के खिलाफ चार्जशीट दायर की जाती है और उक्त आपराधिक मामले में उसका अपना बयान दर्ज किया जाता है तो ऐसा बयान चार्जशीट का हिस्सा नहीं बन सकता, क्योंकि ट्रायल के दौरान उसके खिलाफ इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। "

बेंच ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (मुख्य) द्वारा पारित निर्णय को चुनौती देने वाले मोटर वाहन अधिनियम की धारा 173 के तहत एक अपील पर सुनवाई करते हुए यह अवलोकन किया, जिसमें दावेदारों को 9% प्रति वर्ष ब्याज के साथ 25,28,000 रुपये का मुआवजा दिया गया था। यह मुआवजा वाहन दुर्घटना में हुई पीड़ित की मृत्यु के लिए था जो मूल दावेदार नंबर 1 के पति और दावेदार नंबर 2 और नंबर 3 के पिता थे।

जिस समय अपीलकर्ता के ट्रक से मृतक का एक्सिडेंट हुआ, तब मृतक एसिस्टेंट प्रोडक्शन मैनेजर के रूप में कार्य करते हुए प्रति माह 11,760 रुपए कमा रहा था। तदनुसार, ट्रिब्यूनल ने मृतक की मासिक आय के रूप में 17,069 रुपए की गणना की, जिसमें 50% संभावित आय शामिल है। नतीजतन, 25,28,000 रुपए की गणना, अंतिम संस्कार की लागत आदि सहित मुआवजे की राशि के रूप में की गई थी।

अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि मृतक डिवाइडर के बीच लापरवाही से सड़क पार कर रहा था। यह अगर पूरी जिम्मेदारी नहीं तो कम से कम अंशदायी लापरवाही तो थी। इस तर्क को मजबूत करने के लिए अपीलकर्ता ने एफआईआर पर भरोसा किया जिसमें कहा गया कि दुर्घटना डिवाइडर से सड़क पार करते समय हुई थी।

हाईकोर्ट की सबसे महत्वपूर्ण राय यह थी कि उक्त आपराधिक मामले में दर्ज किया गया अपीलकर्ता का अपना बयान चार्जशीट का हिस्सा नहीं होगा और मुकदमे के दौरान उसके खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

इसके अलावा ट्रिब्यूनल के समक्ष ड्रायवर की परीक्षा (बयान पर जिरह) की अनुपस्थिति में ड्रायवर की लापरवाही के संबंध में उसके सामने पेश किए गए साक्ष्य को बीमा कंपनी द्वारा विवादित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि कंपनी अपनी दलीलों पर जोर देने के लिए ड्रायवर से जिरह कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।

तदनुसार, यह माना गया कि ट्रिब्यूनल ने सही ढंग से मृतक की मौत के लिए ड्रायवर की लापरवाही को जिम्मेदार माना। इस प्रकार अपील खारिज कर दी गई।

केस शीर्षक: रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम आशाबेन विक्रमभाई चौहान

केस नंबर: सी/एफए/57/2022

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