मोरबी ब्रिज हादसा सू मोटो केस- गुजरात हाईकोर्ट ने नगर पालिका के निर्वाचित सदस्यों को पक्षकार बनाने की मांग वाली याचिका खारिज की

Update: 2022-12-22 09:31 GMT

Morbi Tragedy Suo Moto Case

गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने बुधवार को मोरबी नगर पालिका के कुछ निर्वाचित सदस्यों की ओर से दायर आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें मोरबी पुल गिरने से संबंधित हाईकोर्ट के स्वत:संज्ञान मामले में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की गई थी। बता दें, मोरबी ब्रिज गिरने से 135 लोगों की जान चली गई थी।

चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे. शास्त्री की पीठ ने कहा कि पार्षद स्वत: संज्ञान लेकर मामले की कार्यवाही के लिए एक आवश्यक या उचित पक्ष नहीं हैं और इसलिए, इस स्तर पर उनकी उपस्थिति आवश्यक नहीं है।

निर्वाचित पार्षदों ने यह कहते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था कि चूंकि हाईकोर्ट ने अपने पहले के एक आदेश में राज्य को गुजरात नगर पालिका अधिनियम के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए मोरबी सिविक बॉडी को अपने कब्जे में लेने के लिए कहा था, इसलिए, उनके स्वत: संज्ञान कार्यवाही में पक्षकार बनना आवश्यक हो गया।

हालांकि, हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसने राज्य सरकार को सिविक बॉडी के प्रशासन को अपने हाथ में लेने के लिए कहने वाली कोई टिप्पणी नहीं की थी।

कोर्ट ने यह भी कहा कि वास्तव में, यह एडवोकेट जनरल की दलील थी कि राज्य सरकार सिविक बॉडी को अधिक्रमण करने पर विचार कर रही है।

पीठ ने आगे कहा कि अपने पहले के आदेश में, उसने केवल राज्य से सवाल किया था कि जब सिविक बॉडी की ओर से चूक हुई थी, तो उसने सिविक बॉडी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, लेकिन उसने राज्य को सिविक बॉडी को अपने कब्जे में लेने के लिए नहीं कहा था।

इस प्रकार, यह देखते हुए कि इस संबंध में कोई कार्रवाई किए जाने से पहले ही, मोरबी नगर पालिका के 46 निर्वाचित सदस्यों ने तुरंत याचिका दायर की थी, अदालत ने कहा कि आवेदकों को कार्यवाही में आवश्यक या उचित पक्ष नहीं कहा जा सकता है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर राज्य इस संबंध में कोई कार्रवाई करता है, तो आवेदक/निर्णयकर्ता उचित उपाय की मांग के लिए अदालत जाने के लिए स्वतंत्र होंगे। इसी के साथ कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी।

गौरतलब है कि बुधवार को कोर्ट ने अजंता (एक निजी ठेकेदार जो पुल पर मरम्मत कार्य करने के लिए जिम्मेदार था) को स्वत: संज्ञान लेकर कार्यवाही में हस्तक्षेप करने के लिए नोटिस जारी किया।

मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी, 2023 को होगी।

केस टाइटल – सू मोटो बनाम गुजरात राज्य, मुख्य सचिव

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