उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड से सुप्रीम कोर्ट का आदेश गायब होने का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को जांच के निर्देश दिए
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की जाँच के मद्देनजर, जिसमे यह निष्कर्ष निकाला गया कि यद्यपि सर्वोच्च न्यायालय का एक आदेश हाईकोर्ट द्वारा प्राप्त किया गया था, हालांकि, उसे संबंधित जज के पास नहीं भेज गया था, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 मार्च) को प्रशासनिक निर्देशों के तहत मामले की पूरी तरह से जांच करने के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को निर्देशित किया।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की खंडपीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ रजिस्ट्रार द्वारा दाखिल रिपोर्ट पर विचार किया जिसमे प्रथम दृष्टया यह निष्कर्ष निकाला गया था कि 2 हाईकोर्ट अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आगे प्रेषित ना करने हाईकोर्ट के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करने के लिए जिम्मेदार हैं।
न्यायालय के समक्ष मामला
21 नवंबर 2014 को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश [SLP (Crl.) 3515-16 of 2004 में पारित] को 18 दिसंबर 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा प्राप्त किया गया था।
हालांकि, यह आदेश रिकॉर्ड से गायब हो गया और इसलिए, आदेश का पता लगाने के लिए और उस वास्तविक तिथि का पता लगाने के लिए, जिस पर आदेश जिला जजशिप गोंडा को प्रेषित किया गया था, वरिष्ठ रजिस्ट्रार ने 12 जनवरी 2021 को प्रारंभिक जांच का आदेश दिया था।
जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा थ कि सर्वोच्च न्यायालय का उक्त आदेश 18 दिसंबर 2014 को प्राप्त हुआ था, लेकिन संबंधित अनुभाग द्वारा जिला न्यायाधीश गोंडा को वह प्रेषित नहीं किया गया था।
जांच अधिकारी ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दो अधिकारी जिला न्यायाधीश के आदेश का संचार नहीं करने, और उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड से आदेश को misplace करने के लिए जिम्मेदार हैं।
अंत में, इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ एक विभागीय जांच की सिफारिश की गई थी।
सर्वोच्च न्यायालय का आदेश
जांच रिपोर्ट में दिए गए अवलोकनों को ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया और निर्देश दिया,
"मामले की उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक निर्देशों के तहत पूरी जांच होनी चाहिए और कर्तव्य के प्रदर्शन ना करने के जिम्मेदार लोगों को कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करके जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।"
आगे, यह निर्देश दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को सूचित करते हुए चार सप्ताह की अवधि के भीतर कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के लिए सभी आवश्यक कदम शीघ्रता से शुरू किए जाएं।
साथ ही, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को यह निर्देश दिया गया है कि वह कार्रवाई शुरू होने के छह सप्ताह के भीतर उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
इसके अलावा, भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए, उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया गया है कि वह उस प्रक्रिया से न्यायालय को अवगत कराए, जिसके अंतर्गत रजिस्ट्री द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को न केवल उच्च न्यायालय को सूचित किया जाता है, बल्कि संबंधित जज को भी प्रेषित किया जाता है, जिन्हें अदालत के आदेश अनुपालन में कार्रवाई करनी होती है।
इस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया गया है और इसे उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट के साथ लिया जाएगा।
अब, इस मामले को 12 जुलाई 2021 को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया गया है।
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