(प्रवासी महिला से बलात्कार ) दुर्भाग्यपूर्ण है कि रोजगार की तलाश में तमिलनाडु आने वाली महिलाएं यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं : मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2020-10-11 07:30 GMT

Madras High Court

मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार (1 अक्टूबर) को कहा कि यह देखना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पड़ोसी राज्यों से सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करके रोजगार की आस में तमिलनाडु आने वाली महिलाएं यौन शोषण का शिकार हो रही हैं।

यह टिप्पणी मद्रास हाईकोर्ट ने एक दुर्भाग्यपूर्ण मामले के संबंध में की गई थी, जिसमें तिरुप्पुर जिले के पल्लादम में एक 22 वर्षीय प्रवासी मजदूर के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था।

जस्टिस एन किरुबाकरन और जस्टिस पी वेलमुरुगम की खंडपीठ ने पुलिस महानिरीक्षक (पश्चिम क्षेत्र) को निर्देश दिया है कि वे पल्लादम में महिला के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के मामले की निगरानी करें और व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण करें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि दोषियों पर उचित कार्यवाही की जाए।

इतना ही नहीं, खंडपीठ ने सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि पीड़िता की उचित कानूनी सहायता की जाए और पीड़ित मुआवजा योजना के तहत पीड़िता को उचित मुआवजा भी दिया जाए।

डिवीजन बेंच ने उपरोक्त निर्देश इस मामले में कोर्ट के समक्ष एक वकील द्वारा आवेदन पर दिए हैं। कोर्ट के समक्ष प्रैक्टिस करने वाले वकील ए.पी. सूर्यप्रकाशम ने एक आवेदन दायर कर पीड़िता के लिए भोजन, आश्रय, चिकित्सा सहायता और मौद्रिक मुआवजा देने की मांग की थी।

इसके अलावा, बेंच ने यह भी कहा,

''प्रवासी मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं दी जाती है और इसलिए उन्हें स्थानीय श्रमिकों के बजाय विभिन्न संगठनों और कंपनियों द्वारा आसानी से काम पर रख लिया जाता है।''

इस संबंध में, खंडपीठ ने निर्देश दिया है कि सरकार द्वारा यह देखने के लिए उचित कदम उठाए जाएं कि प्रवासी मजदूरों को ठीक से भुगतान किया जाए।

सहायक सॉलिसिटर जनरल श्री जी.कार्तिकेयन ने इस मामले में न्यायालय द्वारा उठाए गए प्रश्नों के संबंध में निर्देश प्राप्त करने और जवाब देने के लिए समय दिए जाने की मांग की।

अब इस मामले को आदेश देने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

इस मामले में 'दा हिंदू' द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुई हाथरस गैंगरेप की घटना और इसी तरह के अन्य अपराधों का जिक्र करते हुए, जस्टिस किरुबाकरन ने ''आध्यात्मिक भूमि'' पर हुई बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की कई घटनाओं पर अपनी पीड़ा व्यक्त की।

जाहिर तौर पर, न्यायाधीश ने एक अध्ययन का भी उल्लेख किया, जिसमें दावा किया गया था कि आंकड़े इतने खतरनाक हैं कि उनके अनुसार हर 15 मिनट में देश में एक महिला या लड़की के साथ बलात्कार हो रहा है। पीठ ने कहा कि, ''यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। महिलाओं के लिए कोई सुरक्षा नहीं है।''

विशेष रूप से, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने हाथरस गैंगरेप मामले में स्वत संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया है कि यह एक ''अत्यंत संवेदनशील'' मामला है, जो नागरिकों के बुनियादी मानव /मौलिक अधिकारों को छू रहा है।

गौरतलब है कि एक ''हैरान कर देने वाली घटना'' (जिसमें एक 15 साल की लड़की की जलाकर नृशंस हत्या कर दी गई थी)पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की थी कि, ''हाथरस केवल उत्तर प्रदेश राज्य में नहीं है, बल्कि झारखंड राज्य में भी है।''

न्यायमूर्ति आनंद सेन की खंडपीठ ने इस तरह के जघन्य मामलों में झारंखड पुलिस के जांच के तरीकों पर भी आश्चर्य जाहिर किया था।

उक्त मामले के तथ्यों और परिस्थितियों ने न्यायाधीश को जघन्य हाथरस बलात्कार मामले से तुलना करने के लिए विवश किया क्योंकि उस मामले में भी पीड़िता को बेरहमी से पीटा गया था और उसके बाद, जैसा कि मीडिया द्वारा रिपोर्ट किया गया है, उसके परिवार को राज्य के अधिकारियों की 'मनमानी' का भी शिकार होना पड़ा था।

आदेश की काॅपी डाउनलोड करें।



Tags:    

Similar News