बिना गंदी नीयत नाबालिग के सिर और पीठ पर हाथ फेरना 'सेक्सुअल हैरेसमेंट' नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

Update: 2023-03-15 06:34 GMT

Bombay High Court

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने सेक्सुअल हैरेसमेंट यानी यौन शोषण के मामले में 28 साल के एक शख्स की सजा रद्द की और कहा कि बिना किसी गंदी नीयत के नाबालिग लड़की की पीठ और सिर पर केवल हाथ फेरना यौन शोषण नहीं माना जा सकता है।

जस्टिस भारती डांगरे की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। जस्टिस भारती ने शख्स को आरोपों से रिहा करते हुए कहा कि दोषी का कोई सेक्सुअल इंटेंशन नहीं था और उसके कथन से पता चलता है कि उसने लड़की को एक बच्चे के रूप में देखा था।

क्या है पूरा मामला?

मामला 2012 का है। 18 साल का लड़का यानी दोषी कुछ डॉक्यूमेंट देने के लिए लड़की के घर गया था। उस समय लड़की की उम्र 12 साल थी। लड़की ने लड़के पर शील भंग करने का आरोप लगाया। और उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। लड़की के मुताबिक, आरोपी ने उसकी पीठ और सिर पर हाथ फेरकर कमेंट किया था कि वह बड़ी हो गई है।

इस केस में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए 6 महीने जेल की सजा सुनाई थी। आरोपी ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

जज ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रॉसिक्यूशन कोई भी इस तरह के सबूत पेश करने में विफल रहा कि अपीलकर्ता की लड़की की मर्यादा भंग करने की मंशा थी।

हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि जब प्रॉसिक्यूशन आरोपी की छेड़छाड़ की नीयत को साबित नहीं कर पाया, तो कोर्ट को ये समझ नहीं आ रहा है कि सेक्शन 354 क्यों लगाया गया है। ट्रायल कोर्ट ने फैसला सुनाने में गलती की। लड़के कथन से पता चलता है कि उसने लड़की को एक बच्चे के रूप में देखा था। उसका कोई सेक्सुअल इंटेंशन नहीं था।

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को पलटा और आरोपी की सजा को रद्द किया।

केस टाइटल: मयूर बाबाराव येलोर बनाम महाराष्ट्र राज्य

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