केवल कम दूरी वैवाहिक मामले को ट्रांसफर करने का आधार नहीं, पत्नी की जब उपस्थिति आवश्यक न हो, वह अपने वकील को निर्देश दे सकती है : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक वैवाहिक मामले में पत्नी की तरफ दायर एक ट्रांसफर याचिका पर विचार करते हुए कहा कि बठिंडा और फरीदकोट के बीच मात्र साठ किलोमीटर की दूरी है, इसलिए यह दूरी इस न्यायालय के लिए मामले को ट्रांसफर करने का आदेश देने के लिए कोई बड़ा कारण नहीं है। इस मामले में पत्नी ने सीआरपीसी की धारा 24 को लागू करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर कर हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत दायर वैवाहिक याचिका को ट्रांसफर करने के लिए प्रार्थना की थी।
कोर्ट ने कहा कि जब भी याचिकाकर्ता पत्नी की उपस्थिति आवश्यक न हो, वह उचित रूप से अपने वकील को निर्देश दे सकती है और इसलिए इस न्यायालय के लिए मामले को ट्रांसफर करने का आदेश देने के लिए इतनी कम दूरी कोई बड़ा कारण नहीं है।
जस्टिस फतेह दीप सिंह की खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता-पत्नी की तरफ से दलील दी गई कि वह मामले की पैरवी/देखभाल करने में असमर्थ है और इस बात की पूरी संभावना है कि उसे न्याय न मिल पाए। कोर्ट ने इन दलीलों पर विचार करने के बाद कहा कि फरीदकोट से बठिंडा के बीच की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है और वे दोनों आसपास के जिले हैं।
अदालत ने आगे कहा कि दोनों शहर अच्छी तरह से पक्की सड़क से जुड़े हुए हैं और सभी प्रकार के वाहन और सुविधाएं उपलब्ध हैं और यह एक बेतुकी दलील है कि शायद याचिकाकर्ता अपनी कार्यवाही की देखभाल करने में सक्षम नहीं हो पाएगी।
न्यायालय ने इस बात को ध्यान में रखा कि दोनों शहर एक-दूसरे से सटे हुए हैं और सभी प्रकार के वाहन और सुविधाएं उपलब्ध होने के साथ अच्छी तरह से पक्की सड़क से जुड़े हुए हैं और इस दलील की सराहना भी की है कि यह एक बेतुका पूर्वाभास है कि याचिकाकर्ता अपनी कार्यवाही की देखभाल करने में सक्षम नहीं हो सकती है।
इस बात को ध्यान में रखते हुए कि एक सिविल मामला होने के कारण जहां याचिकाकर्ता की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं है और पति वैवाहिक संबंधों के अपने अधिकारों की बहाली की कोशिश कर रहा है और पत्नी अपने दायित्वों से बचने की कोशिश कर रही है, अदालत ने माना कि पत्नी के इस तरह के कृत्य उसके आचरण के खिलाफ ही जा रहे हैं।
अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि जब भी याचिकाकर्ता पत्नी की उपस्थिति आवश्यक न हो, वह उचित रूप से अपने वकील को निर्देश दे सकती है। इसलिए इस न्यायालय के लिए मामले को स्थानांतरित/ट्रांसफर करने का आदेश देने के लिए केवल दूरी कोई बड़ा कारण नहीं है। अतः याचिका में कोई मैरिट न होने के कारण इसे कारण खारिज किया जाता है।
केस टाइटल- मनप्रीत कौर बनाम गुरबख्श सिंह
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