पत्नी कमा रही है, केवल यह तथ्य उसे भरण-पोषण का दावा करने से वंचित नहीं करेगाः राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2022-05-30 08:04 GMT

 हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि पत्नी कमा रही है, केवल यह तथ्य उसे अपने पति पर भरण-पोषण का दावा करने से वंचित नहीं करेगा। कोर्ट ने कहा कि किसी भी तरह से परित्याग के आरोप को आधार बनाकर पति को मासिक भरण-पोषण की राशि का दावा करने से पत्नी को अयोग्य घोषित करने के लिए सक्षम नहीं बनाया जा सकता है।

पक्षकारों का विवाह 27.05.2010 को बीकानेर में हुआ था। इसके बाद यह कपल यूएसए में रहने चला गया था। उक्त विवाह से मास्टर अनय (पुत्र) का जन्म 21.05.2011 को हुआ था। अपने वैवाहिक संबंधों में कथित वैमनस्यता के कारण, पत्नी ने 13.11.2013 को यूएसए में अपना वैवाहिक घर छोड़ दिया और बेटे के साथ भारत वापस आ गई। बाद में पत्नी ने पति के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 125 के तहत आवेदन दिया। जिसे निचली अदालत ने 30.08.2018 को अनुमति दे दी और पत्नी को 50 हजार रुपये और बेटे के लिए 20 हजार रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण देने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता-पत्नी ने वर्तमान आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को दायर करते हुए उक्त आदेश को चुनौती दी और कहा कि मासिक भरण-पोषण की राशि 2,50,000 रुपये (पत्नी के लिए) और 1,30,000 रुपये(बेटे के लिए) तक बढ़ा दिया जाए। वहीं पति ने उक्त आदेश को रद्द करने की मांग की।

डॉ. जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा,

''पक्षकारों के एडवोकेट को सुनने,मामले के रिकॉर्ड को देखने और इस संबंध में दिए गए अन्य फैसलों पर विचार करने के बाद इस न्यायालय का मानना है कि केवल यह तथ्य कि पत्नी कमा रही है, उसे भरण-पोषण से वंचित नहीं करेगा। पति ने स्वयं 29.04.2015 को तलाक ले लिया है और इस तथ्य पर कोई विवाद नहीं है। इसलिए, किसी भी तरह से परित्याग के आरोप को आधार बनाकर पति को मासिक भरण-पोषण की राशि का दावा करने से पत्नी को अयोग्य घोषित करने के लिए सक्षम नहीं बनाया जा सकता है।''

हाईकोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने सही फैसला सुनाया था। कोर्ट ने हैदराबाद में रहने के खर्च और इस तथ्य पर विचार करते हुए कि पति और पत्नी दोनों संयुक्त राज्य अमेरिका में बहुत अच्छा जीवन जी रहे रहे थे, पति द्वारा पत्नी और बेटे को देय मासिक भरण पोषण को बढ़ाना उचित समझा।

इसके अलावा, अदालत ने कहा कि पति प्रति माह लगभग 12,00,000 रुपये कमा रहा है और पत्नी प्रति माह 85,000 रुपये कमा रही है, और इसलिए, पति की भरण-पोषण का भुगतान करने की एक बहुत ही उचित क्षमता ,उसकी आय का 1/12वां हिस्सा होनी चाहिए। जो संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने के लिए होने वाले ज्यादा खर्च के संबंध में पति द्वारा किए गए दावे का ख्याल रखेगा।

न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश में संशोधन करते हुए पत्नी और बेटे को दिए जाने वाले मासिक भरण पोषण की राशि को बढ़ाकर क्रमशः 75000 रुपये और 25000 रुपये कर दिया है।

पति के वकील ने प्रस्तुत किया कि पत्नी 85,000 रुपये प्रति माह कमा रही है और हैदराबाद में रह रही है, और इस प्रकार, अपनी आजीविका कमाने के लिए सक्षम है। जबकि पति ने बेटे को दिए गए भरण-पोषण का विरोध नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि पत्नी ने अपनी मर्जी से पति का त्याग किया है और इस प्रकार, वह किसी भी प्रकार के भरण-पोषण की हकदार नहीं है।

पत्नी के वकील ने प्रस्तुत किया कि निचली अदालत के आदेश के अनुसार पत्नी को भरण-पोषण देने से बचने के लिए पति की तरफ से पत्नी द्वारा परित्याग करने की दलील दी जा रही है। वहीं उसने स्वयं संयुक्त राज्य अमेरिका में न्यायालय में तलाक की मांग की थी और दिनांक 29.04.2015 को पति के पक्ष में एक पक्षीय आदेश जारी कर दिया गया था। उन्होंने रजनीश बनाम नेहा व अन्य,2021 के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का हवाला भी दिया,जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर पत्नी कमा रही है, तो भी वह वैवाहिक घर में अपने पति की जीवन शैली के अनुसार भरण-पोषण पाने की हकदार है।

इसके अलावा, पत्नी के वकील ने प्रस्तुत किया कि जीविका का मतलब केवल जीवित रहना नहीं है। हैदराबाद की जीवन शैली, जहां पत्नी अपने बेटे के साथ वर्तमान में रह रही है, बहुत महंगी है, और बेटा हैदराबाद के एक अच्छे और प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ रहा है, जिसका खर्च भी बहुत अधिक है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि पत्नी कुछ कमा भी रही है, तो भी वह अपने पति से आवश्यक और पर्याप्त भरण-पोषण पाने के लिए दावा करने की हकदार है।

एडवोकेट परवेज मोयल पत्नी की ओर से पेश हुए जबकि एडवोकेट शादान फरासत व एडवोकेट हर्षित भुरानी पति की ओर से पेश हुए।

केस टाइटल- नेहा माथुर व अन्य बनाम डॉ अरविंद किशोर साथ में अन्य जुड़े हुए मामले

साइटेशन- 2022 लाइव लॉ (राज) 174

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