पासपोर्ट जारी करने के लिए महबूबा मुफ्ती की याचिका- "एकल पीठ के अवलोकनों से प्रभावित हुए बिना निर्णय लें": पासपोर्ट प्राधिकरण से जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय [डीबी] ने कहा

Update: 2021-04-10 06:18 GMT

जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (09 अप्रैल) को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा एकल बेंच के फैसले के खिलाफ दायर अपील का निस्तारण कर दिया। इस अपील में मुफ्ती ने एकल बेंच के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमे उनकी संबंधित अधिकारियों को उन्हे पासपोर्ट जारी करने के लिए दिशा-निर्देश की मांग को खारिज कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति जावेद इकबाल वानी और न्यायमूर्ति ताशी राबस्तान की पीठ ने हालांकि, उन्हे पासपोर्ट आवेदन के संबंध में उपलब्ध उपाय अपनाते हुए उपयुक्त प्राधिकारी से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी।

एकल पीठ का आदेश

गौरतलब हो कि सोमवार (29 मार्च) को हाईकोर्ट ने मुफ्ती की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमे उन्होंने पासपोर्ट जारी करने की मांग की थी।

यह देखते हुए कि ऐसे मामले में न्यायालय का दायरा या पासपोर्ट के मामले में (किसी व्यक्ति के पक्ष में) बहुत सीमित था, न्यायमूर्ति अली मोहम्मद माग्रे की पीठ ने देखा था,

"न्यायालय केवल संबंधित अधिकारियों को यह निर्देश दे सकता है कि विषय को नियंत्रित करने वाली कानून की योजना के जनादेश के आलोक में किसी व्यक्ति के मामले में तेजी से विचार करें।"

संक्षेप में तथ्य

यह पेश किया गया था कि मुफ्ती ने प्रतिवादी नंबर 4 यानी पासपोर्ट अधिकारी, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, श्रीनगर के समक्ष पहले अपने पक्ष में पासपोर्ट जारी करने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत किया था।

हालांकि, कई महीनों के अंतराल के बावजूद, अपीलकर्ता के अनुरोध पर उपरोक्त पासपोर्ट प्राधिकरण द्वारा कोई आदेश नहीं दिया गया था, जिसके चलते अपीलकर्ता, एकल पीठ के समक्ष रिट याचिका दायर करने के लिए मजबूर हुई, जिसे, हालांकि, खारिज कर दिया गया था।

उसी को चुनौती देते हुए, मुफ्ती ने डिवीजन बेंच के समक्ष एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी।

कोर्ट का आदेश

मुफ्ती का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील ने अदालत के समक्ष यह प्रस्तुत किया कि योजना के तहत उचित उपाय करने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी से संपर्क करने की स्वतंत्रता देकर यदि अपील का निपटारा किया जाता है वह संतुष्ट महसूस करेंगी।

पार्टियों के लिए पेश वकील और उनकी सहमति के मद्देनजर, अदालत ने योजना के तहत उन्हे उपलब्ध उचित उपाय का लाभ उठाने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी से संपर्क करने की स्वतंत्रता प्रदान करके अपील का निपटारा कर दिया।

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया,

"अपील प्राप्त होने पर, संबंधित प्राधिकारी नियमों, विनियमों और अधिनियम के प्रावधानों के तहत कड़ाई से मेरिट के आधार पर इस पर विचार और निर्णय करेंगे और 29 मार्च को दिए गए फैसले में दी गई टिप्पणियों से भी प्रभावित नहीं होंगे।"

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