कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा, मी‌डिया यह सुन‌िश्चित करे की COVID 19 के मामलों में कोर्ट में कही गई बातों की गलत रिपोर्ट‌िंग न हो

Update: 2020-04-14 11:15 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि मीडिया, विशेष रूप से, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को COVID-19 के मामलों में अदालत के आदेशों की रिपोर्टिंग करते समय बहुत सावधान रहना चाहिए।

चीफ जस्टिस अभय ओका और जस्टिस बीवी नागरथना की खंडपीठ ने कहा, "हमें COVID-19 से सबंधित विभिन्न संवेदनशील मुद्दों का सामना करना पड़ रहा हैं। हम यह स्पष्ट करते हैं कि हमारे आदेशों की रिपोर्टिंग करते समय, मीडिया और विशेष रूप से, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को बहुत सावधान रहना होगा। मीडिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्यायालय की कार्यवाही में रखी गई राज्य सरकार की राय या न्यायालय के आदेशों का कोई भी हिस्सा गलत तरीके से पेश नहीं किया जाए।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को यह ध्यान रखना चाहिए कि न्यायालय की कार्यवाहियों, न्यायालय के समक्ष राज्य सरकार और अन्य एजेंसियों की राय और न्यायालय के आदेशों की की सटीक रिपोर्टिंग नहीं होगी तो नागरिकों के बीच भ्रम पैदा हो सकता है और घबराहट फैल सकती है।"

हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता गीता मिश्रा की ओर से ईमेल के जर‌िए भेजी गई श‌िकायत की सुनवाई में की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सुवर्णा न्यूज और दिग्विजय न्यूज चैनल ने राज्य सरकार की ओर से रखी गई प्रस्तुतियों को गलत तरीके से पेश किया, जिन्हें 9 अप्रैल को अदालत द्वारा पारित आदेश में रिकॉर्ड किया गया था।

बेंच ने स्पष्ट किया, "इस अदालत ने राज्य सरकार को तैयारियों के पहलू पर अपनी प्रतिक्रिया के साथ आने का निर्देश दिया था। इस दिशा में काम करते हुए, राज्य सरकार ने बताया ‌था कि 10,000 COVID 19 के मरीजों से निपटने के लिए किस तरह के बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी। हम स्पष्ट करते हैं कि लिख‌ित प्रस्तु‌तियों में जो कहा गया है और जिन्हें 9 अप्रैल 2020 के आदेश के 20वें पैराग्राफ में दर्ज किया गया है, का मतलब यह नहीं है कि राज्य सरकार के अनुसार अनुसार, अप्रैल 2020 के अंत तक राज्य में COVID 19 के मरीजों की संख्या बढ़कर 10,000 हो जाएगी।"

कोर्ट ने कहा, "भ्रम और घबराहट का कारण मीडिया द्वारा इस न्यायालय के आदेशों की गलत व्याख्या हो सकती है। हमें उम्मीद है और भरोसा है कि मीडिया ऐसा करने से बचेगा।"

राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता विक्रम हुइलगोल ने कहा, "हम इस तथ्य से वाकिफ हैं कि इस प्रकार की गलत सूचनाओं से जनता में घबराहट और भ्रम पैदा होगा। ऐसे भय को रोकने के लिए ही , अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, कर्नाटक सरकार, ने 10 अप्रैल 2020 को एक स्पष्टीकरण जारी कर जनता को आश्वस्त किया था और इस संबंध में राज्य की स्थिति स्पष्ट की थी।

मीडिया के एक हिस्सा की गलत रिपोर्ट‌िंग के कारण पैदा हुई गफलत को कम करने के लिए तत्काल उपाय किए गए।

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