'प्रशासनिक पक्ष पर ध्यान आकर्षित करने वाला मामला': यूपी की अदालतों में कागज के तर्कसंगत उपयोग की मांग वाली जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा

Update: 2023-01-16 11:00 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि उत्तर प्रदेश में सभी न्यायालयों/न्यायिक मंचों में न्यायिक फाइलिंग में कागज के तर्कसंगत उपयोग के मुद्दे ने कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया है।

चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जेजे मुनीर की पीठ ने एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए यह बात कही, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ अदालतों में डबल-प्रिंटेड ए4 पेपर के इस्तेमाल का आग्रह किया गया था।

न्यायालय ने, हालांकि, इस संबंध में सुझाव प्रस्तुत करने के लिए याचिकाकर्ताओं का स्वागत किया है।

उल्लेखनीय है कि जनहित याचिका 2020 में 4 वकीलों द्वारा अधिवक्ता शाश्वत आनंद के माध्यम से दायर की गई थी, जिसमें यूपी में हाईकोर्ट के साथ-साथ अन्य सभी न्यायालयों, न्यायाधिकरणों और जिला न्यायालयों में सभी न्यायिक और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए ए4 आकार के कागज के उपयोग की अनुमति मांगी गई थी। याचिका में कागज के दोनों ओर छपाई की अनुमति भी मांगी थी।

जनहित याचिका के लंबित रहने के दौरान, कोर्ट ने 2021 में अपने कामकाज में ए4 साइज पेपर के उपयोग की अनुमति दी थी, ताकि पेपर प्रिंटिंग की पर्यावरणीय लागत को कम किया जा सके और वादियों के लिए इसे आर्थिक रूप से अधिक व्यवहार्य बनाया जा सके।

महापंजीयक ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 225 के तहत अपनी शक्तियों के प्रयोग में इलाहाबाद हाईकोर्ट (संशोधन) नियम, 2021 को अधिसूचित किया था, जिससे सभी याचिकाओं, अपीलों, आवेदनों आदि के लिए ए4 आकार के पेपर के उपयोग की अनुमति दी गई ।

हालांकि, कागज के दोनों ओर छपाई की अनुमति आज तक नहीं दी गई है।

यह भी उल्लेख करना उचित है कि दोनों सिरों पर छपाई के साथ A4 आकार के कागज का उपयोग करने की व्यवस्था को अपनाया गया है और सुप्रीम कोर्ट और केरल हाईकोर्ट, कर्नाटक हाईकोर्ट, त्रिपुरा हाईकोर्ट, उत्तराखंड हाईकोर्ट, आदि कई अन्य हाईकोर्टों में लागू किया गया है।

केस टाइटलः सौमित्र आनंद और अन्य बनाम इलाहाबाद हाईकोर्ट और अन्य [पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन नंबर- 1891 ऑफ 2020]

केस साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एबी) 17


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