"विवाह प्रमाण पत्र बच्चा गोद लेने के लिए आवश्यक नहीं": इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2022-02-21 06:15 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चा गोद लेने के लिए विवाह प्रमाण पत्र अनिवार्य नहीं है। इसके साथ ही एक एकल माता-पिता भी हिंदू दत्तक और रखरखाव अधिनियम, 1956 के तहत बच्चा  गोद ले सकते हैं।

जस्टिस डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर और जस्टिस विवेक वर्मा की खंडपीठ ने एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति और उसके पति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की। इस दंपत्ति ने अपनी याचिका में उप रजिस्ट्रार, हिंदू विवाह, जिला वाराणसी को ऑनलाइन आवेदन पर विचार करने और निर्णय लेने के लिए निर्देश देने की मांग की थी।

मूलतः याचिकाकर्ता नंबर एक (एक ट्रांसजेंडर) और याचिकाकर्ता नंबर दो (पुरुष) ने दिसंबर, 2000 में शादी की। इसके बाद, उन्होंने बच्चा गोद लेने का फैसला किया। हालांकि, उन्हें बताया गया कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत एक विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी, इसलिए उन्होंने दिसंबर, 2021 में सब-रजिस्ट्रार, हिंदू विवाह, जिला वाराणसी के समक्ष एक ऑनलाइन आवेदन किया।

हालांकि, याचिकाकर्ता नंबर एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति है। इसलिए, उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया और अपनी शादी को पंजीकृत करने के लिए सब-रजिस्ट्रार को निर्देश देने की मांग की ताकि वे एक बच्चे को गोद ले सकें।

अदालत ने रजिस्ट्रार को अपनी शादी के पंजीकरण की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं के ऑनलाइन आवेदन दिनांक 03.12.2021 पर एक विस्तृत आदेश पारित करने का निर्देश दिया।

इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बच्चे को गोद लेने के लिए विवाह प्रमाण पत्र अनिवार्य नहीं है। हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 (Hindu Adoptions and Maintenance Act, 1956) की धारा सात और धारा आठ के अनुसार दत्तक ग्रहण करने के लिए विवाह या विवाह के पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है।

इन टिप्पणियों के साथ याचिका का निपटारा किया गया।

केस का शीर्षक - रीना किन्नर और एक अन्य बनाम यू.पी. राज्य और अन्य

केस उद्धरण: 2022 लाइव लॉ (एबी) 55

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