मणिपुर-मोरेह हिंसा| हाईकोर्ट ने जले हुए घरों, लूटी गई संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफलता पर राज्य सरकार से 2 सप्ताह में हलफनामा मांगा
मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य के मोरेह शहर में हिंसा के दौरान घरों और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सुरक्षा बलों की विफलता के संबंध में विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए राज्य सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है।
जस्टिस अहनथेम बिमोल सिंह और जस्टिस ए गुणेश्वर शर्मा की पीठ ने मोरेह शहर में विस्थापित लोगों के घरों को जलाने और संपत्तियों को लूटने के संबंध में राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में भी विवरण मांगा है।
कोर्ट ने कांग्रेस नेता के. देवब्रत सिंह की जनहित याचिका (पीआईएल) में यह आदेश पारित किया। याचिका में जिसमें मेइतेई, तमिल और अन्य छोटे समुदायों के लोगों के घरों और संपत्तियों की 'सुरक्षा' की मांग की गई थी। दावा किया गया था कि राज्य में हुए जातीय संघर्ष के कारण उनसे मोरेह शहर खाली करा लिया गया है।
पिछले हफ्ते, याचिकाकर्ता-सिंह ने मणिपुर हाईकोर्ट के समक्ष एक अतिरिक्त हलफनामा दायर किया था जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार राज्य के हिंसा प्रभावित मोरेह शहर में पीड़ितों के जीवन और संपत्तियों की रक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रही है।
अपने अतिरिक्त हलफनामे में उन्होंने यह भी दावा किया कि मोरेह शहर में संपत्तियों को जलाने, लूटपाट और उत्पीड़न की कई अप्रिय घटनाएं लगातार हो रही हैं, हालांकि, केंद्र और राज्य सुरक्षाकर्मी एक विशेष समुदाय से संबंधित नागरिकों की संपत्तियों और जीवन की रक्षा के मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने राज्य से विस्तृत हलफनामा मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त को तय की गई है।
केस टाइटल- खुमनथेम देवब्रत सिंह बनाम मणिपुर राज्य और 5 अन्य। [जनहित याचिका संख्या 23/2023]