LGBTQIA+ समुदाय के लिए नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा और तीन महीने में प्रकाशित किया जाएगा: मद्रास हाईकोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने कहा
तमिलनाडु सरकार ने शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट को सूचित किया कि वह LGBTQIA+ समुदाय के लिए पॉलिसी को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। यह पॉलिसी देश में अपनी तरह की पहली पॉलिसी है, क्योंकि अभी तक कोई भी राज्य LGBTQIA+ समुदाय की भलाई के लिए पॉलिसी के साथ आगे नहीं आया है।
हालांकि तमिलनाडु सहित कई राज्यों में ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण के लिए नीतियां हैं, यह पहली बार है जब कोई राज्य LGBTQIA+ समुदाय के लिए पॉलिसी लाएगा।
जस्टिस आनंद वेंकटेश की पीठ के समक्ष इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट शुक्रवार को प्रस्तुत की गई। पीठ समुदाय से जुड़े कलंक को दूर करने और समुदाय के सदस्यों के कल्याण को सुनिश्चित करने के प्रयास में कई दिशा-निर्देश पारित कर रही है।
एडिशनल एडवोकेट जनरल एस सिलंबनन ने अदालत को यह भी बताया कि तमिलनाडु ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2022 के लिए मसौदा नियम पहले ही अधिसूचित किए जा चुके हैं और इसे कानून विभाग द्वारा अनुमोदन के लिए भेज दिया गया है। इन नियमों को तब आधिकारिक सर्कुलर में अधिसूचित किया जाएगा और प्रभावी होगा।
यह भी कहा गया कि राज्य योजना आयोग ने LGBTQIA+ समुदाय के लिए मुख्यमंत्री को मसौदा पॉलिसी पेश की है और इसे आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित विभाग को भेज दिया गया है। लगातार अनुवर्ती कार्रवाई की जा रही है और समाज कल्याण निदेशक हितधारकों के साथ बैठकें आयोजित कर रहे हैं। राज्य ने आगे इस अभ्यास को पूरा करने के लिए 3 महीने का समय मांगा।
राज्य द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कोर्ट ने कहा,
तमिलनाडु सरकार बड़े पैमाने पर ट्रांसजेंडर समुदाय और LGBTQIA+ समुदाय के सामने आने वाले मुद्दों के समाधान के लिए गंभीर प्रयास कर रही है और सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों से यह स्पष्ट है। राज्य सरकार द्वारा उठाया गया ऐसा ही प्रभावी कदम केंद्रीय अधिनियम, 2019 की धारा 22(1) के तहत बनाए गए नियमों को इस महीने के अंत से लागू करना है।
इस प्रकार अदालत ने LGBTQIA+ समुदाय के लिए नीति को अंतिम रूप देने के लिए राज्य को 3 महीने का समय दिया।
स्कूलों में संवेदीकरण
स्कूल शिक्षा आयुक्त ने भी स्टेटस रिपोर्ट के माध्यम से अदालत को सूचित किया कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और LGBTQIA+ समुदाय के बारे में स्टूडेंट के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए कदम उठाए गए हैं। इस जागरूकता को स्कूली कोर्स में शामिल करने के लिए भी कदम उठाए गए।
एएजी ने आगे कहा कि एक लाख से अधिक शिक्षकों को LGBTQIA+ समुदाय से संबंधित व्यक्तियों की विशिष्टताओं के बारे में ट्रेनिंग दी गई है।
यह भी प्रस्तुत किया गया कि लिंग की पुष्टि न करने वाले स्टूडेंट के लिए लिंग-तटस्थ शौचालय उपलब्ध कराए जा रहे हैं। आवेदन प्रपत्रों में LGBTQIA+ समुदाय से संबंधित स्टूडेंट के लिए उनके लिंग का उल्लेख करने के लिए अलग कॉलम जोड़ा जा रहा है।
इन पहलों की सराहना करते हुए अदालत ने कहा,
स्कूल शिक्षा आयुक्तालय द्वारा उठाए गए प्रभावी कदम इस न्यायालय की सराहना के पात्र हैं। यह न्यायालय स्कूल शिक्षा आयुक्तालय से अपेक्षा करता है कि वह ट्रेनिंग जारी रखे और इसे एक बार का मामला न बनाए।
केस टाइटल: एस सुषमा व अन्य बनाम पुलिस जनरल डायरेक्टर और अन्य।
केस नंबर: WP/7284/2021 (जेन.क्रिम.)